धनतेरस (Dhanteras) हर साल कार्तिक मास की कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है. इस दिन भगवान धन्‍वंतरि हाथ में सोने का अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. त्रयोदशी को तेरस भी कहा जाता है. भगवान धन्‍वंतरि का जन्‍म तेरस तिथि में होने के कारण इस दिन को धनतेरस कहा जाता है. इस दिन भगवान धन्‍वंतरि की पूजा की जाती है.  भगवान धन्‍वंतरि आयुर्वेद के जनक हैं. मान्‍यता है कि उनकी पूजा करने से व्‍यक्ति को निरोगी काया मिलती है, साथ ही परिवार से दुख और दरिद्र दूर हो जाता है. 

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इस बार धनतेरस का पर्व 22 और 23 दोनों दिन मनाया जा रहा है क्‍योंकि त्रयोदशी तिथि 22 अक्‍टूबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट पर शुरू हो रही है और इसका समापन 23 अक्‍टूबर को शाम 06 बजकर 03 मिनट पर होगा. आप आज और कल, किसी भी दिन भगवान धन्‍वंतरि की पूजा कर सकते हैं. यहां जानिए उनकी पूजा का स्‍तोत्र, मंत्र और आरती.

भगवान धन्‍वंतरि के मंत्र

ॐ धन्वंतराये नमः

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः

ॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृत कलश हस्ताय सर्व आमय 

विनाशनाय त्रिलोक नाथाय श्री महाविष्णुवे नम:

ॐ  रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्

धन्‍वंतरि स्‍तोत्र 

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः

सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम.

कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम

वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम.

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय.

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धन्वं‍तरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः.

श्री धन्वं‍तरि आरती

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा.

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए,

देवासुर के संकट आकर दूर किए.

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया,

सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया.

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी,

आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी.

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे,

असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे.

हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा,

वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा.

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे,

रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे.

धनतेरस पूजा विधि

धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की तस्‍वीर एक चौकी पर रखें. घी का दीपक जलाएं. धूप, पुष्‍प, अक्षत, रोली, चंदन, वस्‍त्र आदि अर्पित करें. मंत्रों का जाप करें और धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें. इसके बाद आ‍रती करें और घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाएं.