डॉक्‍टर्स के प्रिस्क्रिप्‍शन पर Delhi AIIMS और ICMR की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आयी है. ये रिपोर्ट 13 बड़े अस्पतालों में किए गए सर्वे के आधार पर तैयार की गई है. रिपोर्ट में तमाम ऐसी बातें हैं जो डॉक्‍टर्स की लापरवाही को उजागर करती हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्‍यादातर डॉक्‍टर नियमों की अनदेखी कर रहे हैं और उनके प्रिस्क्रिप्शन आधे-अधूरे हैं. इतना ही नहीं पर्चे में कुछ दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं टेस्ट के लिए रिकमेंडेशन पर भी सवाल उठाया गया है.

डॉक्‍टर की लापरवाही मरीजों पर बढ़ा रही आर्थिक बोझ

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डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर बड़ी पड़ताल के बाद आयी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 45% डॉक्टर्स के पर्चे में अधूरी जानकारी है. वहीं 9.8% के प्रिस्क्रिप्शन ही गलत हैं. आईसीएमआर ने रिपोर्ट में कहा है कि डॉक्टरों की लापरवाही मरीजों के आर्थिक बोझ को बढ़ा रही है. फिलहाल ये रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है.

क्या गड़बड़ी मिली?

ICMR ने 7800 प्रिस्क्रिप्शन का परीक्षण किया, उन्हें लिखने वाले लगभग सभी डॉक्टर PG बतौर डॉक्टर प्रैक्टिस करते चार से 18 साल का अनुभव है. उसके बाद भी प्प्रिस्क्रिप्शन पर चौंकाने वाली गलतियां मिली हैं. दवा की खुराक, उसे लेने की अवधि, कितनी बार सेवन करना है, उस दवा का फॉर्मूलेशन क्या है? यह जानकारियां मरीज को नहीं दी गई हैं. वहीं पैंटोप्राजोल, रेबेप्राजोल-डोमपेरिडोन और एंजाइम दवा सबसे ज्यादा रिकमेंड कर रहे हैं. ऊपरी श्वास नली संक्रमण (यूआरटीआई) और उच्च रक्तचाप के रोगियों के प्रिस्क्रिप्शन गलत हैं.

 475 प्रिस्क्रिप्शन पूरी तरह से गलत मिले

हर मरीज को औसतन साढ़े तीन दवा का प्रिस्क्रिप्शन लिखा गया है. 4838 प्रिस्क्रिप्शन पर कुल 1696 दवाएं लिखी गई हैं जो औसतन प्रति मरीज साढ़े तीन दवा है. 475 प्रिस्क्रिप्शन पूरी तरह से गलत मिले हैं. उनमें 102 पर मरीज को एक से अधिक जांच कराने के लिए बोला गया. शेष 373 प्रिस्क्रिप्शन पर जांच के आधार पर दवाएं लिखी और कहा गया कि ये दवाएं खरीद लेना.

ऐसे शुरू हुई पड़ताल

साल 2019 में आईसीएमआर ने देश में दवाओं के तर्कसंगत उपयोग को लेकर एक टास्क फोर्स का गठन किया जिसकी निगरानी में अगस्त 2019 से अगस्त 2020 के बीच 13 अस्पतालों की ओपीडी में एक सर्वे किया गया. इन अस्पतालों से कुल 7800 मरीजों से प्रिस्क्रिप्शन लिए गए जिनमें से 4838 के परीक्षण में 2667 यानी करीब 55.1 फीसदी नियमों के अनुसार पाए गए. लेकिन हैरानी तब हुई जब 4838 में से 475 करीब 9.8 फीसदी प्रिस्क्रिप्शन पूरी तरह से गलत मिले जिन्हें किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता. 

इसके बाद आगे की जांच शुरू हुई तो 2171 प्रिस्क्रिप्शन में खामियां मिलना शुरू हुईं. यहां दो बातें गौर की गई जिनमें से एक पैंटोप्राजोल, रेबेप्राजोल-डोमपेरिडोन और एंजाइम दवाएं सबसे ज्यादा मरीजों को लेने की सलाह दी गई जबकि दूसरी बात यह कि ऊपरी श्वास नली संक्रमण (यूआरटीआई) और उच्च रक्तचाप के रोगियों के प्रिस्क्रिप्शन सबसे ज्यादा गलत पाए गए.

इस सर्वे में दिल्ली एम्स, सफदरजंग अस्पताल, भोपाल एम्स, बड़ौदा मेडिकल कॉलेज, मुंबई के जीएसएमसी, ग्रेटर नोएडा स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज, सीएमसी वेल्लोर, पीजीआई चंडीगढ़ और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज पटना मुख्य तौर पर शामिल हैं.

किस ओपीडी में किया सर्वे

रिपोर्ट के अनुसार, सभी अस्पतालों के सामुदायिक चिकित्सा, सामान्य चिकित्सा, सर्जरी, प्रसूति रोग, बाल रोग, त्वचा रोग, नेत्र रोग, ईएनटी और मनोचिकित्सा विभाग की ओपीडी में आने वाले रोगियों और उनके पास मिले. डॉक्टरों के प्रिस्क्रिप्शन को सर्वे में शामिल किया.