Cyberbullying India: इंटरनेट की पहुंच आसान होने के साथ बड़े से लेकर बच्चे तक अपनी हर छोटी मोटी जरूरतों के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. इसके साथ ही आज के समय में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की दखल भी हमारी जिंदगी में बहुत ज्यादा है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि जिस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल आपका बच्चा अपने दोस्तों से कनेक्ट रहने के लिए करता है, वही उसके शोषण का भी कारण बन सकता है. जी हां. एक हालिया रिपोर्ट इसी बात का दावा कर रही है. McAfee की साइबरबुलिंग रिपोर्ट (Cyberbullying Report) के अनुसार, 85 फीसदी भारतीय बच्चे साइबर बुलिंग का सामना करते हैं. यह अंतर्राष्ट्रीय औसत से दोगुना है. 

क्या कहती है रिपोर्ट

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साइबर बुलिंग की इस रिपोर्ट के मुताबिक, 42 फीसदी भारतीय बच्चे नस्लवादी साइबर धमकियों का सामना करते हैं. यह भी पूरी दुनिया के औसत 28 फीसदी से 14 फीसदी अधिक है.

भारत में नस्लवादी धमकियों के अलावा अन्य तरह के साइबर बुलिंग के मामले भी बच्चों में अंतर्राष्ट्रीय औसत से लगभद दोगुना है. इसमें ट्रोलिंग 36 फीसदी, पर्सनल अटैक 29 फीसदी, यौन उत्पीड़न 30 फीसदी, पर्सनल नुकसान की धमकी 28 फीसदी और डॉर्किंग यानि की सहमति के बिना जानकारी पब्लिक करना 23 फीसदी शामिल है.

लड़कियों पर होते साइबर हमले

भारत में इंटरनेट पर युवा लड़कियों को लेकर भी यौन उत्पीड़न के मामले में भी हाई रेट देखी गई है. 10 से 14 साल तक की 32 फीसदी और 15 से 16 साल की 34 फीसदी लड़कियां इसकी शिकार होती हैं. वहीं 17 से 18 साल की लड़कियों में यह आंकड़ा कम होकर 21 फीसदी रह जाता है.

फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और व्हाट्सएप सहित 14 प्लेटफॉर्म्स पर किए गए सर्वे में भारतीय बच्चों ने अन्य देशों के बच्चों की तुलना में 1.5 फीसदी अधिक साइबर बुलिंग की सूचना दी.

पैरेंट्स को नहीं बताते बच्चे

इस रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि साइबर बुलिंग का शिकार हुए करीब 45 फीसदी बच्चे अपने माता-पिता से साइबर बुलिंग की घटनाओं को छिपाते हैं. यह शायद सही कम्यूनिकेशन नहीं होने के कारण भी होता है.

McAfee के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर गगन सिंह ने एक बयान में कहा, "भारत में साइबर बुलिंग बहुत ही खतरनाक स्थिति में है, क्योंकि हर 3 में से 1 से अधिक बच्चे को 10 साल की उम्र में साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ता है. इस हिसाब से भारत बच्चों में साइबर बुलिंग के सबसे खतरनाक देशों में से एक बन जाता है."

इतने देशों ने लिया हिस्सा

यह रिपोर्ट 15 जून से 5 जुलाई के बीच किए गए 10 देशों के सर्वे पर आधारित है. जिसमें भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, ब्राजील और मैक्सिको सहित कई देशों से कुल 11,687 बच्चों और पैरेंट्स ने एक ईमेल सर्वे को पूरा किया.