Lungs Patients के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ये फंगल इंफेक्शन, AIIMS की स्टडी में हुआ खुलासा
फेफड़े की बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए ये फंगल इंफेक्शन काफी खतरनाक साबित हो सकता है. ये इंफेक्शन 3 में से 1 लंग पेशेंट के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. जानिए इस मामले में क्या कहती है एम्स की स्टडी.
क्रोनिक पल्मोनरी एस्परगिलोसिस (Chronic Pulmonary Aspergillosis- CPA) एक फंगल संक्रमण है, जो हर साल दुनियाभर में तमाम लोगों को होता है. हर साल दुनियाभर में करीब 3.4 लाख लोग इसकी वजह से जान गंवाते हैं. फेफड़े की बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए ये फंगल इंफेक्शन काफी खतरनाक साबित हो सकता है. ये इंफेक्शन 3 में से 1 लंग पेशेंट के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. ये जानकारी नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में सामने आई है.
जानिए कैसे होता है ये संक्रमण
CPA, एस्परगिलस नामक फंगस के हवाई कणों के संपर्क में आने से होता है. ये फेफड़ों में धीरे-धीरे निशान बनाता है, जो महीनों और वर्षों तक चलता रहता है. ये एक कमजोर कर देने वाली बीमारी है, जिससे व्यक्ति को बहुत ज्यादा थकावट, वजन घटना, सांस लेने में दिक्कत और खून वाली खांसी जैसी समस्याएं होती हैं. हालांकि एस्परगिलस के संपर्क में आना ज्यादातर लोगों के लिए हानिकारक नहीं होता, लेकिन फेफड़ों के मरीजों के लिए ये काफी खतरनाक साबित हो सकता है.
5 साल में हो सकती है लंग्स पेशेंट्स की मौत
लांसेट इंफेक्सियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन से पता चलता है कि फेफड़ों की बीमारी से पहले से प्रभावित 32% लोग, यदि सीपीए से संक्रमित हो जाते हैं तो पांच साल में उनकी मृत्यु हो सकती है. इसके अलावा लंग्स डिजीज से ग्रसित लगभग 15% लोग CPA से ग्रसित होने पर एक साल के भीतर ही जान गंवा देते हैं
रिसर्च में ये सामने आया
एम्स के डॉ. अभिनव सेनगुप्ता और डॉ. अनिमेष रे ने इस अध्ययन में 8,778 मरीजों का डाटा खंगाला, जो अंटार्कटिका को छोड़कर दुनिया के सभी महाद्वीपों से लिया गया था.इस अध्ययन में पाया गया कि जिन सीपीए मरीजों को पहले टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) की बीमारी हुई थी, उनकी पांच साल की मृत्यु दर 25% थी, जो तुलनात्मक रूप से कम थी. हालांकि, यह भी देखा गया कि CPA के कई मरीजों का गलत डायग्नोस हो जाता है और उन्हें टीबी का इलाज दिया जाता है, जिससे फंगल संक्रमण का सही इलाज नहीं हो पाता.
इन मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है स्थिति
शोधकर्ताओं ने बताया कि एंटीफंगल दवाओं या सर्जरी से इलाज न केवल सीपीए के लक्षणों को सुधार सकता है, बल्कि मृत्यु के खतरे को भी कम कर सकता है. अध्ययन में यह भी बताया गया कि 60 साल से अधिक उम्र के लोग, इंटरस्टीशियल लंग डिजीज, कैंसर के मरीज और धूम्रपान से संबंधित फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों के नतीजे अधिक खतरनाक होते हैं.