Chitragupta Puja 2022: कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त महाराज की आज इस तरह करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
चित्रगुप्त भगवान सभी मनुष्यों के कर्मों का लेखाजोखा अपने पास रखते हैं. इसलिए आज के दिन भगवान चित्रगुप्त के अलावा कलम, स्याही की भी पूजा की जाती है.
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज के सहायक श्री चित्रगुप्त महाराज की पूजा की जाती है. माना जाता है कि भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं नहीं झेलनी पड़तीं. चित्रगुप्त भगवान सभी मनुष्यों के कर्मों का लेखाजोखा अपने पास रखते हैं. इसलिए आज के दिन भगवान चित्रगुप्त के अलावा कलम, स्याही की भी पूजा की जाती है. चित्रगुप्त महाराज की ये पूजा इस बार आज 27 अक्टूबर को की जाएगी. यहां जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और अन्य जानकारी.
जानें शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि आज दोपहर 12:45 मिनट तक रहेगी. लेकिन इस तिथि का असर पूरे दिन रहेगा. पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:18 बजे से लेकर 03:33 बजे तक रहेगा.
भगवान चित्रगुप्त पूजा विधि
पूजा के लिए चौक बनाकर उस पर एक पाटा या चौकी रखें. इस चौकी पर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर को रखें. इसके बाद श्रद्धापूर्वक उन्हें रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, दक्षिणा, प्रसाद आदि अर्पित करें. इसके बाद एक नए पेन से एक कागज पर राम-राम लिखकर उस कागज को भरें. इसके बाद कागज और पेन को उस चौकी पर रखें, जहां चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर रखी है. इस कलम और कागज की पूजा करें. रोली, अक्षत वगैरह समर्पित करें. इसके बाद भगवान चित्रगुप्त से जाने अनजाने में हुए पापों की क्षमा याचना करें और इसके बाद भगवान चित्रगुप्त की आरती करें.
कौन हैं चित्रगुप्त
भगवान चित्रगुप्त की पूजा अधिकतर कायस्थ लोगों में की जाती है क्योंकि उन्हें चित्रगुप्त महाराज की ही संतान माना जाता है. भगवान चित्रगुप्त को ब्रह्मा जी की संतान माना जाता है. कहा जाता है कि जब ब्रह्मा जी ने इस संसार की रचना की, तो यमराज को पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों को कर्मों के अनुसार सजा देने का कार्य सौंपा. यमराज ने इसके लिए ब्रह्मा जी से एक सहयोगी की मांग की. इसके बाद ब्रह्मा जी ने एक हजार वर्ष तक तपस्या की. इस तप के प्रभाव से ब्रह्मा जी की काया से चित्रगुप्त भगवान का जन्म हुआ और उन्हें यमराज का सहयोगी बना दिया गया. भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ था, इसलिए उनकी सभी संतानें कायस्थ कहलाईं.