Chhath Festival: नहाय-खाय के साथ आज से छठ का पर्व शुरू हो गया है. छठ का ये पर्व लोक आस्‍था का प्रतीक है. छठ के त्‍योहार में पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसी के साथ छठ पर्व का समापन हो जाता है. बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में ये पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इस व्रत के दौरान छठी मैया और सूर्य देव की पूजा की जाती है. आइए आपको बताते हैं कौन हैं छठी मैया?

ब्रह्मा जी की मानस पुत्री है छठी देवी

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धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार छठी मैया सूर्यदेव की बहन हैं और ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं. पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा जी ने अपने शरीर को दो हिस्‍सों में बांट दिया था. उनके दाएं हिस्‍से से पुरुष और बाएं हिस्‍से से प्रकृति का जन्‍म हुआ. प्रकृति ने अपने आप को छह हिस्‍सों में बांट दिया. प्रकृति देवी के छठवें हिस्‍से को षष्‍ठी देवी कहा गया. षष्‍ठी देवी को ही छठी देवी कहा जाता है.

बच्‍चों की रक्षा करती हैं छठी मइया

छठी देवी को शिशुओं की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है. बच्चों की रक्षा करना इनका स्वाभाविक गुण धर्म है. इन्‍हें देवसेना के नाम से भी जाना जाता है. मान्‍यता है कि छठी मइया की पूजा करने से बच्‍चों को दीर्घायु प्राप्‍त होती है और उन्‍हें आरोग्‍य का वरदान मिलता है. जिन महिलाओं की संतान नहीं है, छठी देवी की पूजा से उन्‍हें संतान की प्राप्ति होती है. महाभारत काल में जब अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में में पल रहे बच्चे का वध कर दिया था, तब भगवान श्रीकृष्‍ण ने उत्‍तरा को छठी माता का व्रत रखने की सलाह दी थी.

बच्‍चे के जन्‍म के बाद होती है इनकी पूजा

बच्‍चे के जन्‍म के बाद घर-घर में छठवें दिन बच्‍चे की छठी पूजी जाती है. छठी पूजी जाने का मतलब छठी माता की पूजा से होता है. छठी की पूजा करने के बाद बच्‍चे को माता छठी का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है. मान्‍यता है कि जिस पर छठी मइया की कृपा होती है, तो उस बच्‍चे के सारे संकअ दूर हो जाते हैं. माता स्‍वयं अप्रत्‍यक्ष रूप से उसके साथ रहती हैं और उसकी सुरक्षा करती हैं.