Chhath Puja 2022: आज से शुरू हुआ महापर्व छठ, जान लीजिए नहाय-खाय, खरना का सही समय
Chhath Puja 2022: 28 अक्टूबर से आस्था का महापर्व छठ शुरू होने जा रहा है. आइए जानते हैं नहाय-खाय, खरना का सही समय.
Chhath Puja 2022: दिवाली के साथ ही 'महापर्व छठ' का इंतजार पूरे उत्तर भारत को रहता है. लोग काफी लंबे समय से इस त्योहार की तैयारी शुरू कर देते हैं. इस प्राचीन हिंदू वैदिक त्योहार मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इसके साथ ही नेपाल में भी इसे मनाया जाता है. छठ महापर्व को सूर्य षष्ठी, छठ, महापर्व, छठ पर्व, डाला पूजा, प्रतिहार और डाला छठ के रूप में भी जाना जाता है. चार दिनों का यह पर्व (Chhath Puja) सूर्य देवता और षष्ठी देवी को समर्पित है. इस त्योहार पर महिलाएं अपने बेटों को भलाई और अपने परिवार की खुशी के लिए उपवास करती है और भगवान सूर्य और छठी मईया को अर्घ्य भी देती हैं.
कब मनाया जाएगा छठ महापर्व (Chhath Puja 2022 date)
चार दिवसीय यह छठ महापर्व 28 अक्टूबर यानी कि शुक्रवार से शुरू हो रहा है. यह पूजा 31 अक्टूबर, 2022 सोमवार तक चलेगी. इन चार दिनों में लोग छठी मैया की अराधना करते हैं और कठोर अनुशाषन के पूजा के नियमों का पालन करते हैं. द्रिक पंचांग के अनुसार छठ पूजा (Chhath Puja) पर सूर्योदय सुबह 06:43 बजे और सूर्यास्त शाम 06:03 बजे होगा. षष्ठी तिथि 30 अक्टूबर को प्रातः 05:49 बजे से प्रारंभ होकर 31 अक्टूबर को प्रातः 03:27 बजे समाप्त होगी.
छठ पूजा का इतिहास और महत्व
लोग अपने स्वास्थ्य, सुखी और समृद्ध जीवन के लिए भगवान सूर्य का आशीर्वाद लेने के लिए छठ पूजा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि सूर्य के प्रकाश से कई बीमारियों का इलाज होता है. वहीं पवित्र नदियों में नहाने के भी कई सारे औषधीय लाभ भी होते हैं. छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य व्रतियों को मानसिक और शारीरिक शक्ति हासिल करने में मदद करना है. छठ त्योहार में अत्याधिक स्वच्छ्ता रखा जाता है.
छठ पूजा के नियम
छठ पूजा (Chhath Puja) लोगों द्वारा विभिन्न रीति-रिवाजों का पालन करके मनाई जाती है. छठ पूजा के पहले दिन को कद्दू भात या नहाई खाई के नाम से जाना जाता है. इस दिन परवैतिन (मुख्य उपासक जो उपवास रखते हैं) सात्विक कद्दू भात को दाल के साथ पकाते हैं और दोपहर में देवता को भोग के रूप में परोसते हैं. छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है.
इस दिन, परवैतिन रोटी और चावल की खीर पकाते हैं और इसे 'चंद्रदेव' (चंद्र देव) को भोग के रूप में परोसते हैं. छठ पूजा के तीसरे मुख्य दिन बिना पानी के पूरे दिन का उपवास रखा जाता है. दिन का मुख्य अनुष्ठान डूबते सूर्य को अर्घ्य देना है. छठ के चौथे और अंतिम दिन उगते सूर्य को दशरी अर्घ्य दिया जाता है और इसे उषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है. 36 घंटे का उपवास सूर्य को अर्घ्य देने के बाद तोड़ा जाता है.