Chandra Grahan 2022: सूतक काल में भी खुला रहता है ये मंदिर, भगवान को लगता है भोग और होती है आरती, वजह हैरान कर देगी
हिंदू मान्यता के अनुसार सूतक काल को शुभ नहीं माना जाता. मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. लेकिन राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के फतेहपुर में लक्ष्मीनाथ का एक ऐसा प्राचीन मंदिर है, जो सूतक काल में भी खोला जाता है.
Chandra Grahan Sutak Time and Rules: 8 नवंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. ये साल 2022 का आखिरी ग्रहण भी होगा. भारत में चंद्र ग्रहण की शुरुआत शाम 05:29 को शुरू होगा और शाम को 18:19 बजे तक समाप्त हो जाएगा. चंद्र ग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले चंद्र ग्रहण लग जाता है. ऐसे में भारत में सूतक काल की शुरुआत 8 नवंबर की सुबह 8 बजकर 29 मिनट से हो जाएगी.
हिंदू मान्यता के अनुसार सूतक काल को शुभ नहीं माना जाता. इसमें मंदिर में पूजा-पाठ की मनाही होती है. मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. साथ ही कुछ अन्य नियमों का भी पालन किया जाता है. लेकिन राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के फतेहपुर में लक्ष्मीनाथ का एक ऐसा प्राचीन मंदिर है, जो सूतक काल में भी खोला जाता है. यहां सूतक काल में भी भगवान की आरती होती है और भोग लगाया जाता है. इसके पीछे एक बहुत ही दिलचस्प कहानी बताई जाती है. आइए आपको बताते हैं-
ये कथा है प्रचलित
प्राचीन लक्ष्मीनाथ मंदिर में सूतक काल में होने वाली पूजा को लेकर एक कहानी प्रचलित है. इस कहानी के अनुसार जिस तरह सूतक काल में सभी मंदिरों के पट बंद किए जाते हैं, इस मंदिर के भी पट पहले बंद होते थे. लेकिन एक बार सूतक में पट बंद होने के कारण लक्ष्मीनाथ महाराज की पूजा नहीं हो पाई और न ही उनको भोग लगाया गया. उस दिन रात के समय मंदिर के सामने एक हलवाई की दुकान पर एक बच्चा पहुंचा और बोला कि मुझे भूख लगी है. आप मेरी पैजनी रख लो और मुझे थोड़ा प्रसाद दे दो.
हलवाई ने पैजनी को रखकर प्रसाद दे दिया. अगले दिन पुजारियों ने देखा कि मंदिर से पैजनी गायब है. ये बात क्षेत्र में हर जगह फैल गई. तब उस हलवाई ने कहा कि रात में एक बालक मुझे ये पैजनी देकर गया है और इसके बदले में मुझसे प्रसाद मांग कर ले गया. तब लोगों को पता चला कि वो बच्चा कोई और नहीं श्रीलक्ष्मीनाथ महाराज थे. तब से किसी भी ग्रहण में सूतक काल में इस मंदिर को बंद नहीं किया जाता. सूतक काल में भी भगवान की आरती होती है और भोग लगाया जाता है. सिर्फ ग्रहण काल में मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.
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सूतक काल में किया जाता है इन नियमों का पालन
- सूतक लगने के बाद से ग्रहण काल तक मंदिर के पट बंद हो जाते हैं. ग्रहण काल खत्म होने के बाद मंदिर की सफाई और भगवान की पूजा अर्चना की जाती है.
- घर के मंदिर में भी भगवान को छूना या पूजा करना वर्जित माना जाता है. हालांकि मानसिक जाप करना शुभ होता है.
- सूतक लगने के बाद सिलाई कढ़ाई का काम करने की मनाही होती है. गर्भवती महिलाओं पर ये नियम विशेष रूप से लागू है.
- गर्भवती महिलाओं को सूतक से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक बाहर न निकलने के लिए कहा जाता है और अपने पेट पर सूतक लगने से पहले ही गेरू लगाने की सलाह दी जाती है.
- सूतक काल में भोजन करने की भी मनाही है. जरूरत पड़ने पर लिक्विड डाइट ले सकते हैं. लेकिन गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए ये नियम लागू नहीं होता है.
- सूतक काल में खाना बनाना भी वर्जित होता है. इसके अलावा चाकू, कैंची आदि का प्रयोग करने से परहेज करने के लिए कहा गया है.
- सूतक लगने से पहले ही खाने की वस्तु में तुलसी का पत्ता डाला जाता है, ताकि सूतक का नकारात्मक प्रभाव उन चीजों पर न पड़े.