महिलाओं में बढ़ा कैंसर का खतरा! अमेरिकी रिसर्च में परमानेंट हेयर स्ट्रेटनिंग प्रोडक्ट को लेकर हुआ चौंकाने वाला खुलासा
Cancer: अमेरिका में एक रिसर्च रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि परमानेंट हेयर स्ट्रेटनिंग में शामिल केमिकल्स की वजह से लोगों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो रही है.
Cancer: अपने बालों को सीधा रखने के लिए महिलाएं कई तरह के उपायों को अपनाती हैं. इसमें से कुछ उपाय सिर्फ कुछ समय के लिए होते हैं, लेकिन कई बार महिलाएं परमानेंट हेयर स्ट्रेटनिंग का भी इस्तेमाल करती हैं. ऐसे में आपको सावधान हो जाना चाहिए. अमेरिका से आने वाली एक रिसर्च रिपोर्ट आपकी नींद उड़ा सकती है. अमेरिका की अलग-अलग अदालतों में कई महिलाओं ने याचिकाएं दायर कर यह शिकायत की है, कि बाल सीधे करने वाले प्रोडक्ट यानी परमानेंट हेयर स्ट्रेटनिंग में शामिल केमिकल्स की वजह से उन्हें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो गई है. अब शिकागो कोर्ट में इन अलग-अलग याचिकाओं को इकट्ठा करके इन पर सुनवाई होगी.
क्या है मामला
दरअसल अक्टूबर 2022 में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ में की गई एक रिसर्च में यह सामने आया कि बालों को परमानेंटली सीधा करने वाले प्रोडक्ट में शामिल केमिकल्स की वजह से महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर यानी यूटरिन कैंसर की शिकायतें देखने में आई है. दरअसल यह रिसर्च इन केमिकल और ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर के बीच में लिंक ढूंढने के लिए की गई थी, लेकिन रिसर्च के दौरान डॉक्टरों को समझ में आया कि असल में इस केमिकल की वजह से एंडोमेट्रियल कैंसर यानी यूट्रस के कैंसर की शिकायतें बढ़ रही हैं. अमेरिका में यूटरिन कैंसर काफी कम पाया जाता है. यह 3% महिलाओं में ही देखा जाता है.
33 हजार से अधिक महिलाओं पर किया रिसर्च
अमेरिका में हुई इस रिसर्च में 35 से 74 वर्ष की 33,497 अमेरिकी महिलाओं को शामिल किया गया. यह रिसर्च 11 वर्षों तक इन महिलाओं की सेहत को फॉलो करती रही. इस दौरान इन महिलाओं में से 378 कैंसर केस सामने आए.
किन महिलाओं पर है खतरा
इस रिसर्च में पाया गया था कि आमतौर पर महिलाओं को 70 साल की उम्र तक आते-आते 1.64% चांस है कि उन्हें कैंसर होगा. लेकिन वह महिलाएं जो इस तरह के केमिकल वाले प्रोडक्ट इस्तेमाल कर रही हैं, उनमें यह खतरा बढ़ कर 4.05% देखा गया.
डॉक्टर्स क्या मानते हैं?
धर्मशिला अस्पताल के डॉ अंशुमन के मुताबिक के मुताबिक इन प्रोडक्ट में Bisphenol A और फॉर्मेल्ल्डिहाइड पाया जाता है. यह दोनों ही कैंसर पैदा करने के लिए अलग-अलग रिसर्च में जिम्मेदार पाए गए है. ये दोनों ही एजेंट्स वातावरण में प्लास्टिक में भी मौजूद है. धर्मशिला अस्पताल के डॉ अंशुमन के मुताबिक लाइफस्टाइल को सीधा और साधारण बनाकर ही कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है.
जैसे अगर आप सीजन का फल ना खाकर स्टोर करने वाला फल सब्जी खा रहे हैं, तो हो सकता है उस पर भी कैंसर कारी केमिकल जैसे formaldehyde की कोटिंग लगाकर उसकी उम्र बढाई गई हो.
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