भारत में ऑन्कोलॉजी टेस्ट मार्केट (कैंसर डायग्नोस्टिक टेस्ट मार्केट) तेजी से बढ़ रहा है. शुक्रवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, 2033 तक इसके लगभग 2 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने की उम्मीद है. डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा की रिपोर्ट के अनुसार, देश में कैंसर के मामले बढ़ने का मुख्य कारण लाइफस्‍टाइल में बदलाव, एनवायरमेंटल फैक्‍टर्स और बढ़ती उम्र की आबादी है.

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भारत में कैंसर एडवांस ऑन्कोलॉजी निदान और उपचार सेवाओं की मांग बढ़ रही है. हर साल 1 मिलियन से ज्‍यादा नए मामलों का निदान किया जाता है और हर साल लगभग 9,00,000 मौतें दर्ज की जाती हैं. रिसर्च से पता चलता है कि 2024 में, भारत एशिया-प्रशांत (एपीएसी) ऑन्कोलॉजी टेस्ट मार्केट का 3 प्रतिशत से अधिक हिस्सा होगा.

लेकिन, इनोवेटिव समाधान विकसित करने और कटिंग-एज रिसर्च का समर्थन करने के प्रयासों में तेजी लाकर, देश अपनी आबादी और वैश्विक समुदायों दोनों की स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को तेजी से संबोधित करने की आकांक्षा रखता है. ग्लोबलडाटा में चिकित्सा उपकरण विश्लेषक श्रेया जैन ने कहा, भारत में ऑन्कोलॉजी टेस्ट को पहुंच, सामर्थ्य और तकनीकी अपनाने से जुड़ी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. अपर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर और विशेषज्ञता के कारण, एआई-असिस्टेड निदान जैसी नई अप्रोच को अपनाना और इंटीग्रेट करना, सटीक चिकित्सा, थैरेपी को लेकर समस्या बनी हुई है.

जैन ने कहा, भारतीय जनरेशन के अलग-अलग ग्रुप के लिए कैलिब्रेटेड जीनोमिक टेस्ट जैसे अनुकूलित निदान प्रारंभिक पहचान सटीकता को बढ़ा सकते हैं और जोखिम के स्तर में सुधार कर सकते हैं. इसी के साथ यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि ट्रीटमेंट भारतीय मरीजों के यूनिक जेनेटिक प्रोफाइल से जुड़ा हो. यह न केवल भारत में जीवित रहने की दर में सुधार करने में मदद करता है, बल्कि कैंसर बायोलॉजी की वैश्विक समझ में भी योगदान देता है.

मार्केट रिसर्च फर्म 'रिसर्च एंड मार्केट्स डॉट कॉम' की एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में कैंसर डायग्नोस्टिक टेस्ट मार्केट का भविष्य प्रवेश की इच्छुक कंपनियों के लिए आशाजनक बना हुआ है.

यह सकारात्मक दृष्टिकोण राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम और आयुष्मान भारत योजना जैसी सरकारी पहल की वजह से बना हुआ है, जो कैंसर की रोकथाम, प्रारंभिक पहचान और उपचार पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हैं.