Bhai Dooj History:भाई बहन के रिश्‍तों को मजबूत करने वाला त्‍योहार भाई दूज (Bhai Dooj) आज मनाया जाएगा. इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाते हैं. बहनें उनका स्‍वागत सत्‍कार करती हैं और उनका तिलक करती हैं. इसके बाद मिष्‍ठान वगैरह खिलाती हैं और उन्‍हें एक नारियल भेंट करती हैं. साथ ही भाई के जीवन की सभी समस्‍याएं दूर करने और उसकी दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं. भाई भी अपनी सामर्थ्‍य के अनुसार बहन को उपहार देते हैं. हर साल ये पर्व कार्तिक मास की शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. लेकिन क्‍या आपके जेहन में ये सवाल आया है कि आखिर इस पर्व को मनाने की शुरुआत कैसे हुई थी?  आइए आपको बताते हैं.

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जानिए कैसे हुई भाई दूज की शुरुआत

ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो भाई-बहन के इस पर्व की शुरुआत यमुना जी ने की थी. यमराज और यमुना दोनों ही सूर्यदेव की संतानें हैं. यमराज अपनी बहन यमुना को बहुत प्‍यार करते थे. एक बार उन्‍हें अपनी बहन की काफी याद आ रही थी. उसे देखे हुए अरसा बीत गया था. तब वो अचानक बहन यमुना के घर पहुंच गए. भाई को देखकर यमुना अति प्रसन्न हुईं. उन्होंने भाई के स्वागत के लिए ढेरों पकवान बनाए. जब वो जाने वाले थे, तो यमुना ने उनके मस्तक पर तिलक किया और मिष्ठान खिलाया और नारियल भेंट स्‍वरूप दिया. इसके बाद यमराज ने अपनी बहन से कहा कि वो उनसे उपहार स्वरूप एक वरदान मांग लें. 

इसके बाद यमुना जी ने कहा कि भइया मेरे पास सब कुछ है, बस आपसे विनती है कि आप हर साल इस दिन कम से कम एक बार मेरे घर जरूर आएं. यमराज ने तथास्‍तु बोल दिया. साथ ही कहा कि आज के दिन मैं ही नहीं, बल्कि जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उससे माथे पर तिलक करवाएगा, उस भाई को यमराज लंबी उम्र का आशीष देंगे. उसके जीवन की हर बला दूर हो जाएगी. 

इसलिए इस दिन को कहते हैं यम द्वितीया

यमराज और यमुना ने जिस दिन इस पर्व की शुरुआत की थी, उस दिन कार्तिक मास की शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी. इस कारण इस दिन को यम द्वितीया भी कहा जाता है. ये दिन भाई और बहन के रिश्‍तों को मजबूत करता है और उन्‍हें एक दूसरे के प्रति जिम्‍मेदारियों का अहसास कराता है. इस दिन भाई-बहनों को आपस में झगड़ा नहीं करना चाहिए और अगर किसी तरह का मनमुटाव है तो उसे दूर कर लेना चाहिए. 

तिलक का शुभ मुहूर्त

आज 27 अक्‍टूबर को भाई दूज के साथ दिवाली पर्व का समापन होगा. द्वितीया तिथि 26 अक्‍टूबर को दोपहर 02:43 मिनट से शुरू हो चुकी है और 27 अक्टूबर को दोपहर 12:45 मिनट तक रहेगी. लेकिन उदया तिथि के साथ द्वितीया तिथि शुरू होने के कारण इसका असर पूरे दिन रहेगा. इस दिन आप राहुकाल को छोड़कर कभी भी भाई को टीका कर सकती हैं. राहुकाल का समय दोपहर 01:30 से दोपहर 30 बजे तक होगा.