अंग्रेजी कैलेंडर (English Calendar) की गणना सूर्य वर्ष के आधार पर की जाती है. इस कैलेंडर को ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा जाता है और इसका पहला महीना जनवरी होता है. आमतौर पर लोग 31 जनवरी को जो न्‍यू ईयर मनाते हैं, वो इसी ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से मनाते हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) के हिसाब से साल में 365 दिन होते हैं और हर 4 साल बाद लीप ईयर (Leap Year) आता है जिसमें 365 की बजाय 366 दिन हो जाते हैं. एक्‍सट्रा दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है और हर चार साल बाद फरवरी का महीना, 28 दिनों की बजाय 29 दिनों का हो जाता है. कभी सोचा है आपने क‍ि आखिर हर 4 साल बाद लीप ईयर आने की वजह क्‍या है और क्‍यों ये एक्‍सट्रा दिन फरवरी के महीने में ही जोड़ा गया? आइए आपको बताते हैं इस बारे में. 

ये है हर 4 साल में लीप ईयर आने की वजह

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दरअसल पृथ्‍वी को सूर्य का चक्‍कर लगाने में 365 दिन और करीब 6 घंटे लगते हैं और तब जाकर एक सूर्य वर्ष पूरा होता है और नया साल शुरू होता है. ये 6-6 घंटे की अवधि जुड़ते हुए 4 सालों में पूरे 24 घंटे की हो जाती है और 24 घंटे का एक पूरा दिन होता है. इस तरह हर चौथे साल की गणना में एक एक्‍सट्रा दिन जुड़ जाता है और वो साल 366 दिनों का हो जाता है. इस एक्‍सट्रा दिन को फरवरी में जोड़ दिया जाता है. यही वजह है कि हर चौथे साल में फरवरी 29 दिनों की होती है.

फरवरी में ही क्‍यों जोड़ा गया एक्‍सट्रा दिन

अब सवाल उठता है कि ये एक्‍सट्रा दिन फरवरी में ही क्‍यों जोड़ा गया, इसे किसी दूसरे महीने में भी जोड़ा जा सकता था. इसकी वजह ये है कि ग्रेगोरियन कैलेंडर से पहले जूलियन कैलेंडर चलन में था. ये रोमन सौर कैलेंडर था. जूलियन कैलेंडर में साल का पहला महीना मार्च और आखिरी फरवरी था. इसी कैलेंडर में लीप ईयर की व्यवस्था की गई थी. उस समय लीप ईयर के एक्‍सट्रा दिन को आखिरी महीने में जोड़ दिया गया था. जब जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर आया तो पहला महीना जनवरी हो गया, लेकिन फिर भी एक्‍सट्रा दिन को फरवरी में ही जोड़ा गया क्‍योंकि पहले से ये क्रम चलता आ रहा था और फरवरी का महीना सबसे छोटा था. 

हिंदू कैलेंडर में अधिक मास की व्‍यवस्‍था

जिस तरह अंग्रेजी कैलेंडर में लीप ईयर की व्‍यवस्‍था की गई है, ठीक वैसे ही हिंदू कैलेंडर में अधिक मास की व्‍यवस्‍था है. हिंदू कैलेंडर के पांच प्रमुख अंग माने जाते हैं वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण. इनके कारण ही इसे पंचांग कहा जाता है. हिंदू कैलेंडर चंद्र वर्ष पर आधारित होता है. एक चंद्र वर्ष में 354 से 360 दिन होते हैं. तिथियों के घटने और बढ़ने की वजह से महीने में और साल में दिन कम और ज्‍यादा होते हैं. आमतौर पर हर साल करीब 5 से 11 दिनों का अंतर आता है और हर तीन साल में ये अंतर करीब एक महीने के बराबर हो जाता है. इस स्थिति में साल में एक माह अतिरिक्‍त हो जाता है. अतिरिक्‍त माह को अधिकमास, मलमास या पुरुषोत्तममास के नाम से जाना जाता है. इस साल हिंदू कैलेंडर में अधिक मास जुड़ने के कारण ये साल 12 की बजाय 13 महीने का होगा. अधिक मास के कारण इस साल सावन का महीना 60 दिनों का होगा.

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