Karnataka elections 2023 results: देश के अलग-अलग हिस्सों से ढोल-नगाड़ों की आवाजें और जश्न की तस्वीरें आ रही हैं. इन तस्वीरों में एक बात बहुत खास है. वो ये कि साल 2014 के बाद से ऐसी तस्वीरें अमूमन कमल के झंडे तले दिखाई देती थीं, आज इस उत्सव के शोर में कांग्रेस का परचम लहरा रहा है. सवाल ये है कि क्या कर्नाटक के नतीजों से मिली संजीवनी कांग्रेस को आने वाले विधानसभा चुनावों में भी शक्ति देने वाली है? क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपने बिखरते हुए कुनबे को दोबारा समेटकर पीएम मोदी के मैजिक को चुनौती देने की स्थिति में होगी?

बजरंग बली पर दावेदारी की सियासी दौड़

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कर्नाटक के चुनावी दंगल में उस वक्त दिलचस्प मोड़ आ गया जब कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में बजरंग दल को बैन करने का वादा किया. बीजेपी ने इसको हाथोंहाथ लपक लिया और बिना किसी देरी के बजरंग बली को चुनावी मुद्दा बना दिया. अपनी रैलियों के दौरान खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी कई बार कहा कि कांग्रेस बजरंग बली को ताले में बंद करना चाहती है. कर्नाटक में वोटों की गिनती शुरू होने के ठीक पहले मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई भी आंजनेय मंदिर में हनुमान जी का आशीर्वाद लेते दिखाई दिए. ये और बात है कि एग्जिट पोल के नतीजें के बाद कांग्रेस अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हो गई और शायद यही वजह है कि प्रियंका गांधी भी शिमला के जाखू हनुमान मंदिर में पूजा करती नजर आईं. कुल मिलाकर कर्नाटक में कामयाबी से कांग्रेस के लिए सबक ये है कि विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे लोकल मुद्दे ही कारगर साबित होंगे.

चल गया राहुल के भारत जोड़ो यात्रा का जादू?

कर्नाटक में कामयाबी का सेहरा कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के सिर बांध रही है. और इसकी वजह भी है. सारे देश में ने देखा कि किस तरह 7 सितंबर 2022 को दक्षिण भारत के कन्याकुमारी से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा शुरू हुई और 30 जनवरी को 14 राज्यों का सफर करते हुए 136 दिन में श्रीनगर में खत्म हुई. इस दौरान राहुल ने कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से 51 सीटों को कवर किया और बार-बार बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया. कर्नाटक की इन 51 सीटों में से ज्यादातर पर कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है. देखना ये होगा कि इसी साल के अंत तक छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना में भी चुनाव होने वाले हैं, यहां राहुल की यात्रा और कांग्रेस की चुनावी रणनीति कितना असर दिखाने वाली है.

कर्नाटक में कौन बनेगा मुख्यमंत्री

रुझानों में कांग्रेस की बढ़त के साथ ही हार-जीत के कारणों की समीक्षा जारी है. इस बीच कर्नाटक में सरकार बनाने को लेकर एक्शन भी शुरू हो चुका है. कांग्रेस अपने विजेता विधायकों को खरीद फरोख्त से बचाने के लिए हर जुगत कर रही है. कमलनाथ जैसे कांग्रेस के नेता पहले ही बयान दे रहे हैं कि बीजेपी उनके विधायकों को तोड़ने के लिए सौदेबाजी करेगी. सस्पेंस इस बात पर भी बना हुआ कि कि अगर कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलता है तो सीएम की कुर्सी किसे मिलेगी. फिलहाल इस दौड़ में दो चेहरों की दावेदारी है- पहले हैं पूर्व मुख्यमंत्री  सिद्धारमैया और दूसरे हैं डीके शिवकुमार. चर्चा है कि रविवार 14 मई को होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद इस बारे में तस्वीर साफ हो सकती है लेकिन फिलहाल कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि पहले सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री की कमान दी जाएगी और बाद में डीके शिवकुमार का नंबर भी आ सकता है.