Kamada Ekadashi 2023: एकादशी व्रत हर महीने में दो बार रखा जाता है. इस तरह सालभर में कुल 24 एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) रखे जाते हैं और सभी के नाम और महत्‍व अलग-अलग होते हैं. चैत्र मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. राम नवमी के बाद आने वाली ये एकादशी दुख और दरिद्रता को दूर करती है और कामनाओं को पूरा करती है. इसके व्रत के प्रभाव से जाने-अनजाने हुए पाप भी कट जाते हैं. इस बार कामदा एकादशी व्रत 1 अप्रैल को रखा जाएगा. यहां जानिए  शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, कथा और पारण का समय.

कामदा एकादशी शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat of Kamada Ekadashi)

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ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 01 अप्रैल 01:58 एएम से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 02 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर होगा. इस तरह देखा जाए तो एकादशी तिथि दो दिन पड़ रही है. जब कोई तिथि दो दिन रहे तो गृहस्‍थ लोगों को पहले दिन व्रत करना चाहिए. ऐसे में गृहस्‍थलोग इस व्रत को 01 अप्रैल को रखें और  02 अप्रैल को साधु-संत, वैष्णव व्रत रखेंगे.

एकादशी व्रत विधि (Kamada Ekadashi Vrat Vidhi)

एकादशी व्रत के नियम एक दिन पहले सूर्यास्‍त के बाद से शुरू हो जाते हैं. ऐसे में सूर्यास्‍त होने से पहले ही भोजन आदि करें. इसके बाद प्‍याज-लहसुन आदि से बना या कुछ भी गरिष्‍ठ भोजन न खाएं. अगले दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि के बाद भगवान के सामने व्रत का संकल्‍प लें. विधिवत भगवान की पूजा करें करें और कथा पढ़ें. दिन भर हरि का नाम जपें. बुराई-भलाई, किसी की चुगली वगैरह न करें. झूठ न बोलें. व्रत में फलाहार लेना है या नहीं, ये आपकी सामर्थ्‍य और इच्‍छा शक्ति पर निर्भर है. अगर सेंधानमक का सेवन कर रहे हैं तो सूर्यास्‍त से पहले करें. रात में जब तक संभव हो जागरण करके भगवान का नाम जपें, भजन कीर्तन वगैरह करें. अगले दिन स्‍नान आदि के बाद किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं. दक्षिणा आदि सामर्थ्‍य के अनुसार दान दें. इसके बाद व्रत का पारण करें.

व्रत पारण का शुभ समय (Vrat Parana Auspicious Time)

जो लोग 1 अप्रैल को एकादशी का व्रत रखेंगे, वो व्रत का पारण 02 अप्रैल 2023 को दोपहर 01 बजकर 40 मिनट से शाम 04 बजकर 10 मिनट के बीच कर सकते हैं. वहीं जो लोग 02 अप्रैल को व्रत रख रहे हैं, वे 03 अप्रैल 2023 की सुबह 06 बजकर 09 मिनट के बाद कभी भी व्रत का पारण कर सकते हैं.

कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha)

कामदा एकादशी व्रत कथा के अनुसार रत्नपुर नगर में पुण्डरिक नाम का राजा था. उनके राज्य में अप्सराएं और गंधर्व रहते थे. उनमें ललित और ललिता नाम के गंधर्व पति-पत्नी भी थे, जो एक दूसरे से बेहद प्रेम करते थे. एक दिन राजा की सभा में नृत्य समारोह चल रहा था. तभी गंधर्व ललित गाते हुए अपनी पत्नी की याद में खो गया और उसका सुर बिगड़ गया. राजा पुंडरीक तक जब ये बात पहुंची तो उन्होंने ललित को श्राप दे दिया कि वह मनुष्यों और कच्चा मास खाने वाला राक्षस बन जाएगा. ललित के राक्षस बनने के बाद ललिता बहुत दुखी हुई और उसके श्राप मुक्ति के उपाय तलाशने लगी. तब एक दिन उसकी भेंट श्रृंगी ऋषि से हुई. उसने ऋषि को सारा हाल बताया. तब श्रंगी ऋषि ने कहा कि चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का व्रत करने से तुम्हारे पति को राक्षसी जीवन से मुक्ति मिल सकती है. ऋषि के कहे अनुसार ललिता ने ये व्रत किया और इसके बाद उसके पति को राक्षस योनि से मुक्ति मिल गई. 

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