हिंदू धर्म में गौमूत्र को एकदम गंगाजल की तरह पवित्र बताया गया है. वहीं इसे सेहत के लिहाज से फायदेमंद माना जाता है. गौमूत्र का इस्‍तेमाल वर्षों से कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए दवा के तौर पर किया जा रहा है. लेकिन हाल ही में उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित IVRI यानी इंडियन वेटेनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (भारतीय पशुचिकित्सा अनुुसंधान संस्थान) की गौमूत्र को लेकर एक रिसर्च सामने आयी है, जिसने सभी को चौंका दिया है.

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इस रिसर्च में कहा गया है कि गौमूत्र सेहत के लिहाज से ठीक नहीं होता. इसमें कई तरह के बैक्‍टीरिया पाए जाते हैं जो पेट से जुड़ी तमाम समस्‍याओं की वजह बन सकते हैं. वहीं इस रिसर्च में भैंस के मूत्र को गौमूत्र की तुलना में बेहतर बताया गया है. रिसर्च में सीधेतौर पर गौमूत्र को पीने से बचने की सलाह भी दी गई है. ऐसे में गौमूत्र के फायदे और नुकसान को लेकर काफी बहस छिड़ गई है. इस मुद्दे पर हमने भी नवनीत प्राकृतिक योग चिकित्सा धाम, बस्सी, जयपुर के चीफ मेडिकल ऑफिसर और नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत शर्मा से बात की. यहां जानिए उनका क्‍या कहना है.

रिसर्च को लेकर विशेषज्ञ की राय

इस मामले में डॉ. रमाकांत शर्मा कहते हैं कि यूरिन चाहे गाय की हो, इंसान की हो या किसी अन्‍य जानवर की, वो शरीर में मौजूद पानी और गंदगी का सम्मिश्रण होती है. हमारे शरीर की गंदगी यूरिन के जरिए ही बाहर निकलती है. ऐसे में अगर किसी की यूरिन का सीधेतौर पर परीक्षण किया जाए तो जाहिर है कि उसमें बैक्‍टीरिया मिलेंगे. ऐसे में गौमूत्र में बैक्‍टीरिया होने की बात भी सामने आ सकती है.

क्‍या गौमूत्र फायदेमंद है? 

गौमूत्र के फायदे की बात सुनकर डॉ. रमाकांत शर्मा ने कहा कि यूरिन में करीब 95 फीसदी पानी होता है और 5 फीसदी में मिनरल्‍स, हॉर्मोन और सॉल्‍ट वगैरह होते हैं. इसके अलावा यूरिन हल्‍की मात्रा में एसिड पायी जाती है और कोई भी एसिडिक चीज Germs को साफ करने का काम करती है. ये बात सिर्फ गौमूत्र के लिए नहीं, बल्कि किसी भी पशु के यूरिन या इंसान की यूरिन के मामले में भी लागू है. अब बात आती है कि गाय के यूरिन को खास क्‍यों माना जाता है, तो इसका कारण है कि गाय से लोगों के इमोशंस जुड़े हैं. गाय को मां का दर्जा दिया गया है, इसके अलावा अन्‍य पशुओं की तुलना में गाय हाइजीन को मेंटेन करने वाली मानी जाती है. ऐसे में लोगों के लिए किसी अन्‍य जानवर की बजाय गौमूत्र को औषधि के तौर पर ग्रहण करना आसान है. इसलिए दवा के तौर पर गौमूत्र को इस्‍तेमाल किया जाता है. 

कैसे पीना चाहिए गौमूत्र?

डॉ. रमाकांत शर्मा का कहना है कि गौमूत्र के फायदे जानने के बाद भी इसे कभी सीधेतौर पर नहीं पीया जाना चाहिए क्‍योंकि ऐसे में आपके शरीर में यूरिन के फायदेमंद गुणों के साथ उसमें मौजूद हानिकारक तत्‍व भी तो पहुंचेंगे. गौमूत्र को एक प्रोसेस के साथ प्‍यूरीफाई किया जाता है, उसके बाद गौमूत्र को अर्क के रूप में पीया जाता है. सीधेतौर पर सिर्फ गाय की बछिया का मूत्र दवा के तौर पर उपयोग में लिया जा सकता है, लेकिन वो भी तब, जब वो पूरी तरह से स्‍वस्‍थ हो. बछिया के मूत्र को भी 16 बार छानकर इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए. 

किन बीमारियों में फायदेमंद है?

डॉ. रमाकांत शर्मा का कहना है कि गौमूत्र अपने एसिडिक गुणों के कारण फायदेमंद होती है. ऐसे में इसे खून से जुड़ी किसी भी बीमारी, स्किन डिजीज, आंतों की समस्‍या, कब्‍ज, पथरी आदि समस्‍याओं में औषधि के तौर पर लिया जा सकता है.

कैसे लेना चाहिए?

एसिडिक चीज को सीधेतौर पर नहीं लेना चाहिए. जब भी गौमूत्र लें तो पहले थोड़ा पानी पी लें. ताकि पेट में उस एसिड के लिए एक बेस बन जाए. इसके बाद गौमूत्र अर्क को 10 एमएल लें और उसमें 40 एमएल पानी मिलाएं. इसके बाद इस अर्क को लें.

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