ISRO INSAT-3DS Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर से नया इतिहास रचने की तैयारी में है. आज इसरो मौसम की सटीक जानकारी देने वाले सैटेलाइट इनसैट-3 डीएस (ISRO INSAT-3DS) की लॉन्चिंग करेगा. जीएसएलवी-एफ14/इनसैट-3डीएस मिशन की उल्‍टी गिनती शुरू हो चुकी है. आज शाम 5.35 बजे इसकी लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से निर्धारित है.

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एक जनवरी को PSLV-सी58/एक्सपोसैट मिशन के सफल लॉन्चिंग के बाद 2024 में इसरो का यह दूसरा मिशन है. इस सीरीज के आखिरी सैटेलाइट INSAT-3DR को 8 सितंबर 2016 को लॉन्च किया गया था. इनसैट-3 डीएस क्रियान्वित होने के बाद यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत विभिन्न विभागों-भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र और भारतीय राष्ट्रीय समुद्र सूचना सेवा केंद्र को सेवाएं देगा. सैटेलाइट को ले जाने वाले रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है.

क्‍या है मकसद

  • पृथ्वी की सतह की निगरानी करना
  • मौसम संबंधी महत्व के विभिन्न वर्णक्रमीय चैनलों में समुद्री अवलोकन और उसके पर्यावरण को पूरा करना
  • वायुमंडल के विभिन्न मौसम संबंधी मापदंडों की ऊर्ध्वाधर प्रोफ़ाइल प्रदान करना
  • डेटा संग्रह प्लेटफार्मों (डीसीपी) से डेटा संग्रह और डेटा प्रसार क्षमताएं प्रदान करना
  • उपग्रह सहायता प्राप्त खोज और बचाव सेवाएं प्रदान करना

कहां देख सकते हैं लाइव प्रसारण

  • Website https://isro.gov.in 
  • Facebook https://facebook.com/ISRO/
  • YouTube https://youtube.com/watch?v=jynmNenneFk 
  • DD National TV Channel

लॉन्चिंग व्‍हीकल को लेकर दिलचस्‍प बात

अपने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) रॉकेट को इसरो ने 'जीएसएलवी-एफ14' नंबर दिया है. जीएसएलवी रॉकेट की आखिरी उड़ान 29 मई, 2023 को थी और रॉकेट का कोडनेम 'जीएसएलवी-एफ12' रखा गया था. तार्किक रूप से, अगले जीएसएलवी रॉकेट का नंबर 'जीएसएलवी-एफ13' होना चाहिए था, लेकिन इसरो ने 13 नंबर को छोड़कर 14 नंबर चुना है.

दिलचस्प बात यह है कि इसी नंबरिंग योजना का पालन इसरो ने अपने अन्य रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के मामले में भी किया था. रॉकेट पीएसएलवी-सी12 को भेजने के बाद, इसरो ने अपने अगले पीएसएलवी रॉकेट के लिए एक नंबर आगे बढ़ते हुए इसे 'पीएसएलवी-सी14' नाम दिया था, जिसने ओशनसैट -2 और छह यूरोपीय नैनो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया.

क्‍या है इनसैट सीरीज

इसरो ने इनसैट को भारत की कम्युनिकेशन, टेलीकास्ट, मौसम विज्ञान और सर्च एंड रेस्क्यू की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया है. जियो स्टेशरी सैटेलाइट्स की सीरीज की शुरुआत साल 1983 में की गई थी. यह एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ा लोकल कम्यूनिकेशन सिस्टम है. कर्नाटक के हासन और मध्य प्रदेश के भोपाल से इस सैटलाइट की निगरानी और कंट्रोल किया जाता है. इस सीरीज के छह सैटेलाइट्स अब तक लॉन्च किए जा चुके हैं.