Nelson Mandela Day 2023: नेल्‍सन मंडेला (Nelson Mandela) की आज 18 जुलाई को जयंती है. इस दिन को अंतरराष्‍ट्रीय नेल्‍सन मंडेला दिवस के तौर पर मनाया जाता है. नेल्‍सन मंडेला की छवि दुनिया में शांतिदूत के रूप में है. अहिंसा की राह पर चलकर उन्‍होंने रंगभेद के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी. 27 साल तक जेल की सजा काटी. बाद में उसी देश के वो राष्‍ट्रपति बने. नेल्‍सन मंडेला को साउथ अफ्रीका का 'गांधी' कहा जाता है. आज उनके जन्‍मदिवस के मौके पर आइए आपको बताते हैं उनके जीवन से जुड़ी खास बातें.

संघर्ष में बीता जीवन

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18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका में जन्‍मे नेल्‍सन मंडेला का पूरा नाम नेल्सन रोलीह्लला मंडेला (Nelson Rolihlahla Mandela) था. कम उम्र में ही इनके पिता की मौत हो गई थी. इसके बाद इनका जीवन काफी संघर्षपूर्ण बीता. 1944 में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल होने के बाद नेल्सन मंडेला ने रंगभेद के विरूद्ध आंदोलन छेड़ दिया. इसी साल उन्‍होंने अपने सहयोगियों और मित्रों के साथ मिलकर अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की. 

आजीवन कारावास की सजा

1947 में वे अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग के सचिव चुने गए. साल 1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया. हालांकि इसमें वो निर्दोष साबित हुए. लेकिन इसके बाद 1962 में उन पर मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप लगा और इसके बाद उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया. साल 1964 में नेल्‍सन मंडेला को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई. इसके बाद उन्‍होंने अपने जीवन के 27 साल जेल में बिताए. साल 1990 में उनकी जेल से रिहाई हुई.

साउथ अफ्रीका के पहले अश्‍वेत राष्‍ट्रपति

जिस दौरान मंडेला जेल में थे, उन्‍होंने तब गुप्‍त रूप से अपनी जीवनी लिखी जिसे बाद में एक पुस्‍तक के तौर पर प्रकाशि‍त किया गया जिसका नाम 'लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम' है. जब नेल्‍सन मंडेला जेल से रिहा हुए, तब पूरे देश में जश्‍न का माहौल था. नेल्‍सन मंडेला की छवि लोगों के बीच एक 'हीरो' की तरह हो चुकी थी. रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी. 1994 में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए. इन चुनावों में मंडेला को जनता का भरपूर समर्थन मिला और बहुमत के साथ उनकी सरकार बनी. 10 मई 1994 को नेल्‍सन मंडेला साउथ अफ्रीका के पहले अश्‍वेत राष्‍ट्रपति बने.

भारत रत्‍न जीतने वाले पहले विदेशी 

अहिंसा की राह पर चलकर रंगभेद के खिलाफ नेल्‍सन मंडेला ने जो भी लड़ाई की, उसके बाद उनकी छवि पूरी दुनिया में एक शांति दूत के तौर पर बन गई. कई देश उनसे आकर्षित हुए. साल 1990 में भारत सरकार ने मंडेला को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया. नेल्‍सन मंडेला भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी थे. वहीं 1993 में उन्‍हें नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया. नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र ने 18 जुलाई को आधिकारिक रूप से नेल्सन मंडेला इंटरनेशनल डे मनाने की घोषणा की. इसके बाद पहला नेल्‍सन मंडेला दिवस साल 2010 में मनाया गया.

 

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