Holika dahan date and time: होली का त्योहार नजदीक है. लेकिन होली किस दिन मनाई जाएगी इसको लेकर सभी के मन में सवाल है. इस बार लोग 7 मार्च और 8 मार्च को लेकर कन्फ्यूज्ड हैं. (Holika Dahan Date) बता दें हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है, इसके बाद ही अगले दिन प्रतिपदा तिथि को रंगों की होली खेली जाती है. इस साल पूर्णिमा तिथि 6 मार्च से शुरू होगी और 7 मार्च को खत्‍म होगी. दोनों ही दिन पूर्णिमा तिथि प्रदोष काल (Pradosh Kaal) को स्‍पर्श करेगी. होली किस दिन मनाई जाएगी, यहां जानिए ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का इस मामले में क्‍या कहना है और कौन सी तिथि शास्‍त्र सम्‍मत है.

होलिका दहन का शुभ समय

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ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो पूर्णिमा तिथि 6 मार्च को शाम 6 बजकर 17 मिनट पर शुरू हो जाएगी और 7 मार्च 2023 मंगलवार 06:09 मिनट तक रहेगी. लेकिन होलिका दहन 7 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन के लिए शुभ समय 7 मार्च 2023 को शाम 6:24 मिनट से रात 8:51 मिनट  (Holika Dahan Shubh Muhurat) तक है. इसके बाद 8 मार्च को रंगों की होली (Holi of Colours) खेली जाएगी. स्मृतिसार नामक शास्त्र के मुताबिक जिस वर्ष फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि दो दिन के प्रदोष को स्पर्श करे, तब दूसरी पूर्णिमा यानी अगले दिन में होली जलाना चाहिए. इस बार भी पूर्णिमा तिथि 6 मार्च और 7 मार्च दोनों दिन प्रदोष काल को स्‍पर्श कर रही है, ऐसे में 7 मार्च को होलिका दहन करना शुभ होगा.

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6 मार्च को इसलिए नहीं जलेगी होली

6 मार्च को होलिका दहन न होने का एक और कारण ये है कि इस दिन पूर्णिमा तिथि पर भद्रा (Bhadra on Purnima) का साया रहेगा. 6 मार्च सोमवार में शाम 4:18 मिनट से भद्रा शुरू हो जाएगी और 7 फरवरी 2023 को सुबह 05:15 बजे तक रहेगी. भद्रा का वास भी पृथ्वीलोक में होगा. भद्रा के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम करना वर्जित होता है, वरना उसके अशुभ परिणाम झेलने पड़ सकते हैं. निर्णय सिंधु ग्रंथ में लिखा है कि भद्रा में अगर होली जलायी जाए तो देश को बड़ी हानि हो सकती है और देशवासियों को बड़े भयानक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है. 7 मार्च की पूर्णिमा तिथि भद्रामुक्‍त होगी, ऐसे में 7 मार्च को ही होलिका दहन किया जाना चाहिए.

पूजन विधि

होलिका दहन की पूजा और उसमें अग्नि प्रज्जवलित हमेशा शुभ मुहूर्त में करना चाहिए. होलिका दहन की पूजा के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा में मुंह करके होलिका को जल, रोली, अक्षत, फूल, पीली सरसों, गुलाल और मिष्‍ठान अर्पित करें. साथ ही नई फसल यानी कि गेहूं और चने की बालियां चढ़ाएं. इसके बाद होलिका की सात बार परिक्रमा करें.