Holi Bhai Dooj 2023: होली के बाद अगर आप भी मनाते हैं भाई दूज का त्योहार, तो नोट कर लें तिलक का शुभ मुहूर्त
होली के बाद द्वितीया तिथि पर भी भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक कर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. यहां जानिए होली पर पड़ने वाले भाई दूज का महत्व और तिलक का शुभ समय.
भाई दूज (Bhai Dooj) का त्योहार वैसे तो दीपावली के बाद आता है, लेकिन तमाम जगहों पर ये त्योहार होली के बाद द्वितीया तिथि पर भी मनाया जाता है. इस दिन बहनें भाई को तिलक करके उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. सुबह से वे इसके लिए व्रत रखती हैं और तिलक और पूजन वगैरह करने के बाद ही व्रत को खोलती हैं. भाई दूज का ये त्योहार उनके बीच आपसी प्यार बढ़ाने वाला है और उनके रिश्ते को और मजबूत बनाता है. अगर आपके घर भी होली के बाद का भाईदूज मनाया जाता है तो यहां जान लें भाई दूज पर तिलक का शुभ मुहूर्त.
तिलक का शुभ मुहूर्त
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 8 मार्च 2023 को शाम 07 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 09 मार्च 2023 को रात 08 बजकर 54 मिनट पर खत्म होगी. लिहाजा उदया तिथि के हिसाब से भाई दूज का त्योहार 09 मार्च गुरुवार को मनाया जाएगा. 09 मार्च को राहुकाल दोपहर 02 बजे से 03:28 बजे तक है. राहुकाल के समय तिलक करने से परहेज करें. बाकी दिन में किसी भी समय पर भाई को तिलक किया जा सकता है.
होली भाई दूज का महत्व
भाई दूज का पर्व भाई के जीवन की सलामती के लिए मनाया जाता है. ये दिन भाई और बहन के बीच संबन्ध को और मजबूत बनाने वाला है. इस दिन बहनें अपने भाई के जीवन को संकटों से बचाने के लिए व्रत रखकर गणपति और नारायण की पूजा करती हैं और उनसे भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं. इसके बाद भाई का तिलक करने के बाद वो व्रत खोलती हैं. तिलक के बदले भाई भी अपनी बहन को शगुन के तौर पर कोई उपहार देता है. साथ ही बहन का हर परिस्थिति में साथ निभाने और उसकी रक्षा करने का वचन देता है.
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तिलक करने की विधि
होली भाईदूज के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और श्रीगणेश व श्रीविष्णु भगवान का विधिवत पूजन करें. भाई दूज की कथा पढ़ें और उनसे अपने भाई की दीर्घायु की प्रार्थना करें. इसके बाद भाई को तिलक करने के लिए आरती का थाल सजाएं. थाल में रोली, अक्षत, दीपक, मिठाई, सुपारी या सूखा गोला आदि रखें. इसके बाद चौक लगाकर उस पर पाटा रखकर भाई को बैठाएं. उसको तिलक लगाएं, अक्षत लगाएं, आरती उतारें और मिठाई खिलां. इसके बाद भाई को सुपारी या गोला दें. इसके बाद भाई अपनी बहन के पैर छूकर आशीर्वाद लें और बहन को सामर्थ्य के अनुसार कोई उपहार देकर उसका मुंह मीठा कराएं. इस दिन भाई को भोजन कराने के बाद ही घर से विदा करें.