भांग की ठंडाई आमतौर पर महाशिवरात्रि के मौके पर शिवभक्‍त प्रसाद के तौर पर लेते हैं. लेकिन कई जगहों पर होली के मौके पर भी भांग की ठंडाई पी जाती है. लोग भांग पीकर त्‍योहार का जश्‍न मनाते हैं और जमकर मस्‍ती करते हैं. लेकिन क्‍या आपने कभी ये सोचा है कि होली पर भांग क्‍यों पी जाती है, जबकि इस दिन का शिव जी से सीधेतौर पर कोई ताल्‍लुक भी नहीं दिखता. फिर कैसे शुरू हुआ ये चलन? आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.

ये है मान्‍यता

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होली पर भांग पीने के पीछे एक पौराणिक कथा है जो भगवान विष्‍णुऔर शिव जी से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि होली से पहले के आठ दिनों में हिरण्‍यकश्‍यप नामक राक्षस ने अपने पुत्र प्रहलाद को बहुत सताया था. प्रहलाद भगवान विष्‍णु का बड़ा भक्‍त था. फाल्‍गुन मास की पूर्णिमा के दिन हिरण्‍यकश्‍यप की बहन होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी थी क्‍योंकि होलिका को आग से न जलने का वरदान प्राप्‍त था. लेकिन प्रहलाद की भक्ति जीत गई और होलिका जलकर भस्‍म हो गई और प्रहलाद की जान बच गई. इसके बाद भी  हिरण्‍यकश्‍यप नहीं माना और प्रहलाद को मारने का प्रयास किया. प्रहलाद की जान बचाने के लिए भगवान विष्‍णु ने नरसिंह रूप धारण किया और हिरण्‍यकश्‍यप का वध कर दिया.

लेकिन  हिरण्‍यकश्‍यप का वध करने के बाद भी उनका क्रोध शांत नहीं हो रहा था. तब उनके क्रोध को शांत करने के लिए शिव जी ने शरभ अवतार लिया जिसका स्‍वरूप आधे शेर और आधे पक्षी का था. अपने शरभ अवतार से शिव जी ने विष्‍णु भगवान के नरसिंह अवतार को परास्‍त कर दिया. तब जाकर नरसिंह भगवान का क्रोध शांत हुआ और नरसिंह भगवान ने अपना छाल शिव जी को आसन के तौर पर अर्पित कर दिया. इसके बाद कैलाश में शिवगणों ने उत्‍सव मनाया और इस आनंद उत्‍सव में भांग पीकर मतवाले होकर नृत्‍य किया. तब से होली के समय पर भांग पीने का चलन शुरू हो गया. आज भी लोग भांग की ठंडाई पीकर गानों की धुन पर नृत्‍य करते हैं और जमकर होली खेलते हैं.

ये भी है वजह

भांग को एक जड़ीबूटी माना जाता है. जब समुद्र मंथन के दौरान शिव जी के ऊपर हलाहल का प्रभाव बढ़ गया था और उनके शरीर में जलन काफी तेज हो गई थी, तब उस जलन को शांत करने के लिए जल, बेलपत्र आदि तमाम चीजों के साथ भांग भी अर्पित की गई थी क्‍योंकि भांग की तासीर ठंडी होती है. होली के मौके पर लोग तमाम तरह के गरिष्‍ठ भोजन को खाते हैं. ऐसे में भांग औषधि के तौर पर पाचक का काम करती है. इसके अलावा ठंडी तासीर होने के कारण भांग के सेवन से लोग तमाम चिंताओं और तनाव मस्‍त हो जाते हैं, ऐसे में वे खुलकर त्‍योहार का आनंद ले पाते हैं.

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