चीन में हाहाकार मचाने वाला ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) अब भारत में भी दस्‍तक दे चुका है. भारत में अब तक इसके 8 मामले सामने आ चुके हैं. इसमें से दो कर्नाटक से, दो महाराष्‍ट्र से, एक गुजरात और एक पश्चिम बंगाल से और दो मामले तमिलनाडु में सामने आए हैं. HMPV सांस से जुड़ी समस्‍याएं पैदा करता है. ऐसे में लोग इसकी तुलना कोविड-19 से कर रहे हैं और पैनिक हो रहे हैं. स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय भी अलर्ट मोड पर है. यहां जानिए आखिर ये वायरस कितना खतरनाक है, इससे किन लोगों को ज्‍यादा खतरा है और इसके लक्षण और बचाव के क्‍या तरीके हैं.

क्‍या हैं इसके लक्षण

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

HMPV वायरस के लक्षणों की बात करें तो ये व्‍यक्ति के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. इसके अलावा खांसी, बुखार, नाक बंद होना, घरघराहट, गले में खराश जैसे लक्षण सामने आते हैं. वायरस से संक्रमित होने के बाद कुछ मामलों में गंभीर लक्षण आ सकते हैं और सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है.चूंकि इस तरह के लक्षण कोविड के समय में भी देखने को मिले थे, इसलिए लोग इसकी समस्‍या कोविड-19 से कर रहे हैं.

किनको है ज्‍यादा खतरा

वैसे तो ये वायरस किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. लेकिन इससे सबसे ज्‍यादा खतरा ये शिशुओं, छोटे बच्चों और बुजुर्गों को है. इसके अलावा वो लोग जो पहले से बीमार हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है या फिर जो पहले से सांस के रोगी हैं, उन्‍हें थोड़ा ज्‍यादा सतर्क रहने की जरूरत है.

कैसे फैलता है ये वायरस

HMPV एक वायुजनित रोग है यानी ये हवा के जरिए फैलने वाली बीमारी है. ये एक संक्रामक रेस्पिरेटरी डिजीज है, जो गंभीर साबित हो सकती है. ये बीमारी दो लोगों के बीच श्वसन प्रणाली के माध्यम से भी फैल सकती है, और लोगों के बीच संपर्क जैसे कि हाथ मिलाना, या वायरस से दूषित किसी वस्तु को छूना आदि की वजह से भी फैल सकती है.

कितना खतरनाक है ये वायरस

HMPV का ये कोई नया मामला नहीं है. 2001 में नीदरलैंड में पहली बार HMPV की पहचान हुई थी. इसके बाद HMPV के मामले भारत समेत तमाम दूसरे देशों में भी आ चुके हैं. अभी भी जो केस भारत में मिले हैं, उनकी कोई ट्रैवल हिस्‍ट्री नहीं है यानी ये स्‍थानीय स्‍तर पर पनपा है. हाल ही में तमिलनाडु में इसके दो मामले पाए जाने पर तमिलनाडु सरकार के डीआईपीआर ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि पर्याप्त आराम और अच्छी मात्रा में पानी पीने और उचित देखभाल से ये संक्रमण ठीक हो जाता है.

बचाव के लिए स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन

  • खांसते और छींकते समय अपने मुंह और नाक को रुमाल या टिश्यू पेपर से कवर करें.
  • अपने हाथ को समय-समय पर साबुन या पानी से धोते रहें. या फिर सैनेटाइजर का इस्‍तेमाल करें.
  • भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें.
  • अगर आपको छींक, खांसी या बुखार वगैरह की समस्‍या है तो भी सार्वजनिक स्‍थानों पर जाने से बचें. दूसरों से मिलने से परहेज करें.
  • संक्रमण से बचाव के लिए कमरों में वेंटिलेशन की व्‍यवस्‍था रखें.
  • खूब पानी पीएं और पौष्टिक भोजन लें.

ये काम न करें

  • टिश्‍यू पेपर या रुमाल का इस्‍तेमाल दोबारा न करें.
  • किसी दूसरे व्‍यक्ति के तौलिए वगैरह का इस्‍तेमाल न करें. बीमार लोगों से विशेष रूप से बचाव करें.
  • बार-बार आंख, नाक और मुंह को न छुएं.
  • डॉक्‍टर के परामर्श के बगैर कोई दवा वगैरह न लें.

भारत सरकार की क्‍या है तैयारी?

भारत में HMPV के बढ़ते मामले को देखकर भारत सरकार भी अलर्ट है. इसको लेकर स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय पहले ही गाइडलाइन जारी कर चुका है. स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति पर नजर रख रहा है. आज केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने देश में श्वसन संबंधी बीमारियों की मौजूदा स्थिति और उनके प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा की. स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों को आईएलआई (इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण) और एसएआरआई (गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण) की निगरानी को और मजबूत करने की सलाह दी.

साथ ही, राज्यों से कहा कि वे निवारक उपायों के बारे में जनता में जागरूकता बढ़ाएं, ताकि ऐसे मामलों का समय पर पता लगाया जा सके. स्वास्थ्य सचिव ने ये भी कहा कि राज्यों को ऐसे मामलों की निगरानी बढ़ाने और उनकी समीक्षा पर ध्यान देना चाहिए, ताकि श्वसन संबंधी बीमारियों से निपटने में कोई कमी न हो. इसके अलावा ICMR भी पूरे साल HMPV के मामलों की निगरानी करेगा.