Heat Stroke को सामान्‍य शब्‍दों में लू कहते हैं. आजकल उत्‍तर भारत में भीषण गर्मी के साथ हीट स्‍ट्रोक का भी असर है. मौसम विभाग ने इसके लिए अलर्ट जारी किया है और सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है. हीट स्‍ट्रोक एक ऐसी स्थिति है जो अगर गंभीर रूप ले ले तो व्‍यक्ति की जान भी जा सकती है. बीते एक हफ्ते में देशभर में हीट स्‍ट्रोक के चलते तमाम मौत होने के मामले भी सामने आए हैं. आइए आपको बताते हैं कि कितने टेम्‍प्रेचर के बाद हीट स्‍ट्रोक का खतरा सबसे ज्‍यादा बढ़ जाता है, इसके लक्षण और बचाव के तरीके क्‍या हैं?

45 डिग्री पहुंचने पर सबसे ज्‍यादा होता है हीट स्‍ट्रोक का रिस्‍क

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डॉ. रमाकान्‍त शर्मा बताते हैं कि पारा जैसे ही 45 डिग्री तक पहुंचता है या इसे पार कर जाता है, तो हीट स्‍ट्रोक की समस्‍या होने का रिस्‍क बढ़ जाता है. इसकी वजह है कि पारा 45 डिग्री पहुंचने पर शरीर का थर्मोस्‍टेट गड़बड़ाने लगता है. थर्मोस्‍टेट आपके शरीर के तापमान को कंट्रोल करने का काम करता है. अगर ये गड़बड़ाता है तो तमाम तरह की परेशानियां होने लगती हैं जैसे- सिर में दर्द, चुभन, पैरों में दर्द, दस्त, उल्टी और शरीर में अकड़न आदि. जिसे आप आमतौर पर लू लगना कहते हैं. थोड़ी सी लापरवाही करने पर थर्मोस्‍टेट काम करना बंद कर सकता है और हीट स्‍ट्रोक गंभीर रूप ले सकता है. आजकल तमाम जगहों पर तापमान 45 डिग्री या इससे ज्‍यादा है, ऐसे में हीट स्‍ट्रोक का खतरा भी काफी बढ़ा हुआ है. यही वजह है कि मौसम विभाग ने तमाम जगहों के लिए हीट स्‍ट्रोक का रेड अलर्ट जारी किया है. 

हीट स्‍ट्रोक के गंभीर लक्षण

हीट स्‍ट्रोक की स्थिति अगर गंभीर रूप ले ले, तो फौरन मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है. जरा सी लापरवाही से आपकी जिंदगी भी जोखिम में पड़ सकती है. आप लक्षणों से हीट स्‍ट्रोक की पहचान कर सकते हैं. ये हैं हीट स्‍ट्रोक के लक्षण-

  • शरीर का तापमान 104 डिग्री या इससे ज्‍यादा होना
  • शरीर से पसीना निकलना बंद हो जाना
  • दिल की धड़कन तेज हो जाना
  • कंफ्यूजन, असंतुलन और दौरे की स्थिति
  • डायरिया की समस्‍या
  • त्‍वचा पर चकत्‍ते
  • तेज सिरदर्द
  • मांसपेशियों में अकड़न, कमजोरी 
  • चक्‍कर या बेहोशी आदि

हीट स्‍ट्रोक की समस्‍या होने पर क्‍या करें

  • खुद डॉक्‍टर न बनें. बिना देर किए डॉक्‍टर को दिखाएं और उनके निर्देशों का पालन करें.
  • शरीर का तापमान 101 से 102 भी पहुंचे तो समझ जाइए कि ये हीट स्ट्रोक का असर है. ऐसे में घर के कूलर पंखे चलाकर बर्फ की पट्टियां रखें. 
  • इलेक्ट्रॉल या नमक और चीनी का पानी थोड़ी थोड़ी देर में मरीज को पिलाते रहें. शरीर में पानी की कमी न होने दें.
  • बच्चों को उल्टी दस्त हों तो ओआरएस का घोल थोड़ी-थोड़ी देर में दें.
  • खाना हल्का व सुपाच्य लें जैसे खिचड़ी, दलिया आदि लें.

हीट स्‍ट्रोक से बचने के लिए क्‍या करें?

  • विशेषज्ञ का कहना है कि हीट स्‍ट्रोक की समस्‍या से बचाव करना है तो पारा 40 पार होते ही अलर्ट हो जाएं और अपने खानपान वगैरह को लेकर विशेष रूप से सावधानी बरतें. 
  • ज्यादा से ज्यादा पानी और लिक्विड डाइट जैसे छाछ, लस्सी, कच्चा आम का पना, शिकंजी, नारियल पानी वगैरह लें. ज्यादा तेल, मसाला और गरिष्ठ भोजन व बाहर खाने से बचें. 
  • ढीले कपड़े पहनें. तेज धूप में निकलने से बचें और अगर निकलना बहुत जरूरी हो तो शरीर को अच्छी तरह कवर करके और घर से पानी पीने के बाद निकलें. 
  • छतरी अपने साथ रखें और सिर, मुंह और शरीर के अन्‍य अंगों को अच्‍छे से कपड़े से कवर करके रखें. आंखों पर सनग्‍लासेज का इस्‍तेमाल करें.
  • पानी या शिकंजी को अपने साथ रखें. धूप से आकर तुरंत पानी या कुछ ठंडा न लें. 
  • गर्मी के कारण थोड़ी भी समस्‍या हो तो तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं. लापरवाही न करें.