आज 31 अगस्‍त बुधवार को गणेश चतुर्थी के मौके पर विघ्‍नहर्ता गणेश घर-घर में विराजेंगे और ये उत्‍सव 10 दिनों तक चलेगा. इस बीच मंगल मूर्ति गणेश के भक्‍त घर पर उनकी स्‍थापना करते हैं और सुबह-शाम उनकी विधिवत पूजा करते हैं. पूजा के दौरान गणपति को तमाम व्‍यंजनों का भोग लगाया जाता है. 11वें दिन गणपति का विसर्जन कर दिया जाता है. पहले के समय में ये फेस्टिवल महाराष्‍ट्र में ज्‍यादा प्रचलित था. लेकिन आज के समय में ये मध्‍यप्रदेश, राजस्‍थान और उत्‍तर प्रदेश जैसे तमाम राज्‍यों में भी मनाया जाता है. अगर आप भी इस गणेश चतुर्थी पर पहली बार घर में बप्‍पा की स्‍थापना करने जा रहे हैं, तो पूजा के कुछ नियम जरूर जान लें. 

इन नियमों का पालन जरूरी

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  • ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो ईशानकोण यानी उत्‍तर-पूर्व दिशा की ओर स्‍थापित करना चाहिए. ये दिशा पूजा के लिहाज से सबसे शुभ मानी जाती है. अगर ऐसा संभव न हो पाए तो उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में स्थापित करें.
  • स्‍थापना करने से पहले उस स्‍थान को अच्‍छी तरह से साफ कर लें. गंगाजल छिड़क कर स्‍थान को शुद्ध करें. इसके बाद एक चौकी पर लाल या पीला वस्‍त्र बिछाकर गणपति को बैठाएं. ध्‍यान रखें कि उस स्‍थान पर चमड़े आदि की कोई चीज न रखी हो.
  • आप गणपति को 5, 7 या 10 दिनों के लिए स्‍थापित कर सकते हैं. लेकिन एक बार स्‍थापना होने के बाद मूर्ति को हिलाएं नहीं. इसके बाद शुद्ध आसन पर भगवान के सामने अपना मुख करके बैठे और भगवान का ध्यान करते हुए पूजन सामग्री जैसे पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली, लाल चंदन, 21 दूब और मिष्ठान आदि गणेश भगवान को समर्पित करें. आप भगवान को मोदक और लड्डू जरूर चढ़ाएं. कहा जाता है कि गणपति को ये चीजें अत्‍यंत पसंद हैं.  
  • भूलकर भी गणपति को तुलसी अर्पित न करें. न ही टूटे चावल, सफेद जनेऊ या सफेद वस्‍त्र अर्पित करें. सफेद जनेऊ को हल्‍दी से पीला करने के बाद ही चढ़ाएं. इसके अलावा पीले रंग का ही वस्‍त्र अर्पित करें. सफेद चंदन की बजाय भी पूजा में पीला चंदन इस्‍तेमाल करें.
  • सुबह-शाम गणपति की पूजा करें. मंत्रों का जाप करें और आरती करें. कहा जाता है कि गणपति की श्रद्धाभाव से पूजा करने से वे प्रसन्‍न होते हैं और जाते समय परिवार के सारे विघ्‍न लेकर चले जाते हैं. ध्‍यान रहे कि गणपति जब तक आपके घर में विराजें, प्‍याज-लहसुन, नॉनवेज और शराब आदि से पूरी तरह से परहेज करें.

 

गणेश चतुर्थी पर बन रहा है बेहद खास योग

ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो इस बार की गणेश चतुर्थी बेहद खास है. इस साल करीब-करीब वो सारे योग-संयोग बन रहे हैं, जो गणेश जी के जन्म पर बने थे. गणपति का आगमन चित्रा नक्षत्र, रवि योग और शुक्‍ल योग में होगा. गणेश चतुर्थी पर दोपहर के समय चित्रा नक्षत्र में ही पार्वती जी ने मिट्टी के गणेश बनाए थे और उसमें प्राण डाले थे. रवि योग और शुक्‍ल योग दोनों को काफी शुभ माना गया है.

स्‍थापना का शुभ समय

ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो सुबह 07 बजकर 13 मिनट से 09:27 मिनट तक सम स्‍थापना के लिए  शुभ है. इसके अलावा दोपहर में 01:30 से 04:10 मिनट तक समय भी शुभ रहेगा. लेकिन दोपहर 12:00 बजे से 01:30 बजे तक राहुकाल रहेगा. कोशिश करें कि इस बीच आप गणपति की स्‍थापना न करें.