गणेश चतुर्थी का उत्‍सव हर साल देश के तमाम हिस्‍सों में धूमधाम से मनाया जाता है. ये पर्व गणेश चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है. इस दौरान श्रीगणेश के भक्‍त उन्‍हें पूरे उत्‍साह के साथ घर पर लेकर आते हैं और स्‍थापित करते हैं. गणपति को 5, 7 या 10 दिनों तक घर में विराजमान कराया जाता है. इस बीच उनकी पूजा की जाती है और तमाम व्‍यंजनों का भोग लगाया जाता है. इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्‍त को है. गणपति के शरीर की बनावट पर अगर गौर किया जाए, तो उनका हर अंग एक संदेश देता है, जिसे अक्‍सर लोग नहीं समझ पाते. अगर आप गणपति के भक्‍त हैं, और इस बार गणेश चतुर्थी पर उन्‍हें घर में लाने की तैयारी कर रहे हैं, तो सिर्फ उनकी पूजा न करें, बल्कि उनके गुणों को जीवन में उतारने का प्रयास भी करें. यहां जानिए श्रीगणेश के अंगों में क्‍या रहस्‍य छिपे हैं.

गणपति का सिर

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गणपति का सिर काफी बड़ा है, जो ये सिखाता है कि व्‍यक्ति को किसी भी परिस्थिति में अपनी बुद्धि का इस्‍तेमाल करना चाहिए. बुद्धि और विवेक के बल पर व्‍यक्ति बड़ी से बड़ी समस्‍याओं का भी समाधान आसानी से कर सकता है. इसके अलावा अपनी सोच को हमेशा बड़ा रखना चाहिए.

गणपति की छोटी आंखें 

भगवान गणेश की आंखें काफी छोटी हैं, जो गंभीर होने के साथ चिंतन करने का प्रतीक हैं. गणपति की आंखों से हमें ये सीख मिलती है कि किसी भी परिस्थिति में चिंता की बजाय चिंतन करना चाहिए और इसके बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए. चिंतन व्‍यक्ति के स्‍वभाव में गंभीरता लाता है और उसे हर परिस्थिति के हल तक पहुंचाता है.

गणपति के कान

गणपति के कान बहुत बड़े होते हैं, जो व्‍यक्ति को चौकन्‍ना रहने की प्रेरणा देते हैं. इसके अलावा गणपति के कानों से ये भी सीख मिलती है कि जो भी ज्ञान की बात कहे, उसे ध्‍यान से सुनें, चिंतन करें और फिर अपने विवेक के आधार पर कोई भी फैसला करें.

गणपति की सूंड़

गणपति की सूंड़ हमेशा हिलती रहती है, जो इस बात की सीख देती है कि व्‍यक्ति को हर परिस्थिति में एक्टिव रहना चाहिए. एक्टिव रहने वाला व्‍यक्ति शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह से फिट रहता है और किसी भी परिस्थिति में आसानी से पार पा जाता है.

गणपति का पेट

गणपति का पेट बहुत बड़ा है. इससे हमें सीख मिलती है कि जीवन में काफी कुछ सीखने, देखने और सुनने को मिलेगा. जो सही है, उसे अपने पास रखकर पचा लें. यदि आपने ये कला सीख ली, तो आप हर फैसले को सूझ-बूझ से लेना सीख जाएंगे.

गणपति का वाहन

इतने भारी भरकम शरीर वाले गणपति ने मूषक को अपना वाहन बनाया है. जो इस बात का संकेत है कि संसार में कोई भी तुच्‍छ नहीं है. हर किसी की अपनी उपयोगिता है और क्षमता है. इसलिए हर व्‍यक्ति को हर किसी का सम्‍मान की नजर से देखना चाहिए.