23 अगस्‍त को भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने चांद के साउथ पोल पर लैंड करके दुनिया में एक नया इतिहास रचा है और आज 2 सितंबर यानी ठीक 10 दिनों बाद भारत ने अपना पहला सौर मिशन आदित्‍य एल1 (Aditya L1) को लॉन्‍च कर दिया है. लॉन्चिंग के बाद आदित्‍य यान निर्धारित कक्षा में स्‍थापित हो गया है और सूरज से मिलने के लिए सफर पर निकल पड़ा है.

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भारत के लिए ये दोनों ही बड़ी उपलब्धियां हैं. पूरे देश में खुशी और जश्‍न का माहौल है. लेकिन आपको बता दें कि ये सिलसिला अभी खत्‍म नहीं हुआ है. आदित्‍य एल1 के बाद इसरो कई अन्‍य मिशन की तैयारी कर रहा है. गगनयान और चंद्रयान-4 के भी नाम इसमें शामिल हैं. शुक्रवार को इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया था कि आदित्‍य एल1 के बाद गगनयान की तैयारी है. इसे अक्‍टूबर के पहले या दूसरे हफ्ते में लॉन्‍च किया जा सकता है. इसके अलावा चंद्रयान-4 को लेकर भी जल्‍द ऐलान किया जाएगा.

जानिए क्‍या है इसरो का गगनयान मिशन

गगनयान मिशन भारत का पहला अंतरिक्ष मानव मिशन है, गगनयान से अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजा जाएगा. गगनयान मिशन 2022 में लॉन्च हो जाना था, लेकिन इसमें देरी हो गई. इसरो इस मिशन की तैयारियों में जुटा है. गगनयान मिशन इसरो का बेहद महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है, अंतरिक्ष एजेंसी इसमें बिल्कुल चूक नहीं करना चाहती, इसीलिए लगातार ये सुनिश्चित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है कि मिशन हर हाल में सफल हो. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री चुनने का काम भारतीय वायुसेना को दिया गया है. इसमें वायुसेना के कुछ जवानों को अंतरिक्ष यात्री बनाया जा सकता है. इसके लिए उन्‍हें ट्रेनिंग दी जा रही है.

चंद्रयान-4 में क्‍या होगा खास

चंद्रयान-3 की अपार सफलता के बाद अब भारत चंद्रयान-4 की भी तैयारी कर रहा है. लेकिन इस बार वो चांद पर अकेला नहीं जाएगा. ये मिशन इसरो और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ मिलकर पूरा करेंगे. ये मिशन लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (LUPEx) मिशन के नाम से जाना जाएगा. JAXA की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक खास तौर पर चंद्रयान-4 का लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर पानी के संसाधनों को तलाशेगा और इसकी मात्रा का डाटा इकट्ठा करेगा, ताकि भविष्य में ये अंतरराष्ट्रीय सहयोगी मिशन में काम आ सके. इसके अलावा हाइड्रोजन का भी पता लगाया जाएगा.

इन मिशन की भी हो रही है तैयारी

मंगलयान-2: मंगलयान-1 की सफलता के बाद से इसरो की ओर से मंगलयान-2 यानी मार्स ऑर्बिटर मिशन-2 की भी तैयारी की जा रही है. इस मिशन में ऑर्बिटर को मंगल ग्रह की और पास की ऑर्बिट में भेजा जाएगा.और मंगल से जुड़ी जानकारियों को जुटाया जाएगा. इससे पहले मंगलयान-1 मिशन अब तक का सबसे किफायती मंगल मिशन था. लॉन्च व्हीकल, स्पेसक्राफ्ट और ग्राउंड सेग्मेंट की लागत 450 करोड़ रुपए आई थी.

शुक्र मिशन: शुक्र ग्रह से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए इसरो शुक्र मिशन की भी तैयारी कर रहा है. इसमें शुक्र की सतह और वातावरण का अध्ययन करने के लिए एक ऑर्बिटर भेजा जाएगा. इसकी लॉन्चिंग की सटीक जानकारी नहीं है. हालांकि भारत का ये मिशन 2024 के लिए नियोजित बताया जाता है.

निसार: इस मिशन में इसरो और नासा मिलकर पृथ्वी के बदलते इकोसिस्टम की स्‍टडी करेंगे. इसके लिए अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट को नासा और इसरो मिलकर विकसित कर रहे हैं. इसके जरिए ज्वालामुखियों, ग्लेशियर के पिघलने की दर, पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों का अध्‍ययन किया जाएगा. अगले साल इस मिशन के लॉन्‍च होने की उम्‍मीद है.

 

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