Farmers Protest: किसानों ने दिल्ली की ओर कूच करना शुरू किया, दिल्ली-हरियाणा में धारा 144 लागू.. पढ़ें ताजा अपडेट
Kisan Andolan: किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से अंबाला के पास शंभू सीमा की ओर बढ़ रहे हैं. मार्च के ऐलान को देखते हुए दिल्ली और हरियाणा में पहले ही धारा 144 लागू कर दी गई है, जिसके तहत पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्रित होने और ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ किसी भी प्रकार के प्रदर्शन पर रोक है.
Kisan Andolan News: चंडीगढ़ में आधी रात तक सरकार के साथ चली बैठक के बेनतीजा रहने के बाद किसानों ने आज दिल्ली के लिए कूच शुरू कर दिया है. किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से अंबाला के पास शंभू सीमा की ओर बढ़ रहे हैं. मार्च के ऐलान को देखते हुए दिल्ली और हरियाणा में पहले ही धारा 144 लागू कर दी गई है, जिसके तहत पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्रित होने और ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ किसी भी प्रकार के प्रदर्शन पर रोक है.
किसान आंदोलन (Farmers Protest) के चलते कई स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है. दिल्ली मेट्रो में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. उद्योग भवन मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1, 3 और 4 को से प्रवेश और निकास के लिए 'सुरक्षा कारणों' से बंद कर दिया गया है. दिल्ली पुलिस दिल्ली के सिंघु और टीकरी और गाजीपुर बॉर्डरों पर लगातार ड्रोन से निगरानी कर रही है.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
किसानों के दिल्ली मार्च के मद्देनजर दिल्ली नोएडा बॉर्डर कालिंदी कुंज पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. नोएडा से दिल्ली आने वाली सड़क पर जाम लगा हुआ है. इस वजह से नोएडा एक्सटेंशन में भीषण जाम लगा हुआ है. दिल्ली किसान आंदोलन के मद्देनजर भारी भरकम अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है. 5000 से ज्यादा अर्धसैनिक बलों के जवान दिल्ली के अलग-अलग लोकेशन पर मौजूद हैं. दिल्ली के सभी बॉर्डर पर 50 अर्धसैनिक बलों की कम्पनियां तैनात की गई हैं.
सोमवार देर रात तक चली थी बैठक
बता दें कि इस आंदोलन को रोकने के लिए सोमवार देर रात तक केंद्र सरकार और किसानों के बीच बैठक चली. पांच घंटे से ज्यादा समय तक चली दूसरे चरण की बैठक के बाद किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 'हमें नहीं लगता कि सरकार हमारी किसी भी मांग पर गंभीर है. हमें नहीं लगता कि वे हमारी मांगों को पूरा करना चाहते हैं. हम मंगलवार सुबह 10 बजे दिल्ली की ओर मार्च करेंगे.' हालांकि, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक में शामिल हुए केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है और सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि शेष मुद्दों को एक समिति के गठन के माध्यम से सुलझाया जाए. मुंडा ने बैठक के बाद कहा, कि सरकार हमेशा चाहती है कि हम हर मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझा सकें. हम अब भी आशान्वित हैं और बातचीत का स्वागत करते हैं.
ये हैं किसानों की मांगें (Key Demands Of Farmers)
- न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाया जाए.
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए.
- किसान कृषि ऋण भी माफ करने की मांग कर रहे हैं.
- लखीमपुर खीरी मामले पर किसान परिवार को मुआवजा दिया जाए.
- किसानों को प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाए.
- कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फल और सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए.
- 58 साल से अधिक उम्र के किसानों के लिए पेंशन योजना लागू कर उन्हें 10 हजार रुपए मासिक पेंशन दी जाए.
- कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए.
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को उसी तरह से लागू किया जाए. इस संबन्ध में केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को दिए निर्देशों को रद्द किया जाए.
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान किया जाए, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाया जाए और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन किया जाए.