Farmers Protest 2.0: क्यों दिल्ली की सड़कों पर फिर से उतर रहे हैं किसान, आखिर क्या है ये पूरा मामला?
इससे पहले किसानों ने साल 2020-21 में आंदोलन किया था. दो साल बाद होने जा रहे इस विशाल आंदोलन को तमाम लोग किसान आंदोलन 2.0 भी कह रहे हैं. इसे 'चलो दिल्ली' नाम दिया गया है.आंदोलन को रोकने के लिए सोमवार को किसान नेताओं की केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक भी हुई, लेकिन ये बैठक बेनतीजा रही.
देश की राजधानी दिल्ली में किसान एक बार फिर से दस्तक देने को तैयार हैं. पंजाब-हरियाणा समेत तमाम राज्यों के किसानों ने दिल्ली के घेराव की तैयारियां कर ली हैं. इसे 'चलो दिल्ली' नाम दिया गया है. दो साल बाद होने जा रहे इस विशाल आंदोलन को तमाम लोग किसान आंदोलन 2.0 (Farmers Protest 2.0) भी कह रहे हैं. 'चलो दिल्ली' को रोकने के लिए सोमवार देर रात किसान नेताओं की केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक भी हुई, लेकिन ये बैठक बेनतीजा रही. किसान आज मंगलवार से दिल्ली के लिए कूच शुरू करेंगे.
बता दें कि इससे पहले किसानों ने साल 2020-21 में आंदोलन किया था. दिल्ली की सीमाओं पर हुए इस आंदोलन के आगे मोदी सरकार को भी घुटने टेकने पड़े थे. 2021 की तरह ही इस बार भी किसान एक बार फिर से अपनी तमाम मांगों के साथ सड़कों पर उतरने जा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कि इस बार किसानों की आखिर क्या मांगें हैं, जिनको लेकर किसान आंदोलन की तैयारी की जा रही है.
ये हैं इस बार किसानों की मांगें
- न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाया जाए.
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए.
- किसान कृषि ऋण भी माफ करने की मांग कर रहे हैं.
- लखीमपुर खीरी मामले पर किसान परिवार को मुआवजा दिया जाए.
- किसानों को प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाए.
- कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फल और सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए.
- 58 साल से अधिक उम्र के किसानों के लिए पेंशन योजना लागू कर उन्हें 10 हजार रुपए मासिक पेंशन दी जाए.
- कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए.
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को उसी तरह से लागू किया जाए. इस संबन्ध में केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को दिए निर्देशों को रद्द किया जाए.
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान किया जाए, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाया जाए और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन किया जाए.
लंबे समय तक चल सकता है आंदोलन
बता दें कि किसानों का कहना है कि सरकार ने उनसे दो साल पहले जो वादे किए थे, उन्हें अब तक पूरा नहीं किया है. इस आंदोलन के जरिए वे सरकार को उसके वादे याद दिलाना चाहते हैं. माना जा रहा है कि अगर सरकार और किसानों के बीच बात नहीं बनी तो पिछली बार की तरह इस बार भी ये आंदोलन काफी लंबे समय तक चल सकता है. इसके लिए किसान अपने साथ ट्रैक्टर-ट्रॉली और राशन वगैरह भी साथ ला रहे हैं. हालांकि ये आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर तले नहीं हो रहा है. अलग-अलग किसान संगठन इसे मिलकर आयोजित कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी भारत बंद का आह्नान किया गया है, जिसमें तमाम किसान और मजदूर पूरे दिन हड़ताल और काम बंद करेंगे.