Eye Flu in Monsoon: बारिश का मौसम काफी खुशनुमा लगता है क्‍योंकि इसके आते ही चिलचिलाती गर्मी से राहत मिल जाती है. लेकिन ये मौसम तमाम बीमारियों को भी साथ लेकर आता है. बारिश के मौसम में वायरस और बैक्‍टीरिया तेजी से फैलते हैं. मॉनसून में जगह जगह भरा हुआ पानी, हवा में नमी के कारण इनकी प्रजनन दर बढ़ जाती है और वायरस, बैक्टीरिया और तमाम तरह के संक्रमण तेजी से फैलते हैं. वायरल फीवर, गले का इन्‍फेक्‍शन तो इस मौसम में आम है. इसके अलावा कंजंक्टिवाइटिस की बीमारी भी अक्‍सर मॉनसून के मौसम में ही देखने को मिलती है.

आंखों की इस बीमारी को सामान्‍य भाषा में लोग आई फ्लू (Eye Flu) या 'आंखें आना' कहते हैं. ये समस्‍या संक्रामक होती है, जो कंजंक्टिवा में सूजन आने के कारण होती है. इसे पिंक आई (Pink Eye) भी कहा जाता है. कंजंक्टिवाइटिस एक्यूट या क्रॉनिक दोनों ही रूपों में हो सकती है. आमतौर पर ये दो सप्ताह में अपने आप ही ठीक भी हो जाती है, लेकिन कई लोगों में इसके गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं. ऐसे में उन्‍हें फौरन इलाज की जरूरत होती है. यहां जानिए इस बीमारी से जुड़ी तमाम जरूरी बातें.

आई फ्लू के लक्षण 

  • आंखों का लाल होना
  • आंखों में सूजन, खुजली और जलन
  • लाइट से परेशानी होना
  • सफेद चिपचिपा पदार्थ आंखों से निकलना
  • सामान्य से ज्यादा आंसू आना
  • शरीर में दर्द

आई फ्लू के रिस्‍क फैक्‍टर्स

  • गंदे या बिना धुले हाथों को बार-बार आंखों पर लगाना
  • दूसरों के कपड़े या टॉवेल को यूज करना
  • संक्रमित व्‍यक्ति के संपर्क में आना
  • पब्लिक प्‍लेस पर संक्रमित जगह को छूना 
  • धूल के कण, पालतू जानवरों के फर, या कुछ दवाएं जिनसे आपको एलर्जी है, उन चीजों के संपर्क में आना.
  • लगातार कॉन्‍टैक्‍ट लैंस पहनने के कारण.
  • Microbial Infection या फंगस वगैरह के कारण.

आई फ्लू का क्‍या है इलाज

  • खुद डॉक्‍टर न बनें, विशेषज्ञ को दिखाएं. 
  • विशेषज्ञ के निर्देशों का पालन करें और दवाएं नियमित तौर पर लें.
  • दूसरों के रूमाल और तौलिया इस्‍तेमाल न करें और न ही अपना किसी के साथ शेयर करें. 
  • आंखों को दिन में 3 से 4 बार साफ पानी से धोएं.
  • इंफेक्शन होने के बाद बाहर न निकलें, घर पर ही रहें. 

ऐसे करें बचाव ताकि संक्रमण आप तक पहुंच ही न पाए

  • अपने हाथों की साफ-सफाई का ध्‍यान रखें. बार-बार हाथों से आंखों को न छुएं.
  • समय-समय पर हाथों को धोते रहें.
  • साफ टॉवेल का इस्‍तेमाल करें, दूसरों की टॉवेल न इस्‍तेमाल करें और न उन्‍हें अपनी करने दें.
  • अपने कपड़ों को भी साफ रखें और नियमित रूप से इन्‍हें धोएं. 
  • समय-समय पर अपने तकिए के कवर को बदलते रहें.
  • आई कॉस्‍मेटिक्‍स का इस्‍तेमाल करने से बचें. अगर करती हैं तो इसे किसी से शेयर न करें.
  • आई फ्लू से संक्रमित व्‍यक्ति के संपर्क में आने से बचें.