गुजराती फिल्म ‘छेल्लो शो' के रिलीज होने से कुछ दिनों पहले ही इस फिल्‍म के चाइल्‍ड एक्‍टर राहुल कोली की कैंसर से मौत हो गई. इस फिल्‍म में राहुल कोली ने नौ वर्षीय नायक समय (भाविन रबारी) के दोस्त की भूमिका निभाई है. फिल्‍म 14 अक्‍टूबर को ये फिल्‍म देश के सिनेमाघरों में रिलीज होगी. ‘छेल्लो शो' एक गुजराती शब्‍द है जिसका अर्थ होता है, आखिरी शो (Last Film Show). राहुल कोली के लिए भी उनकी ये फिल्‍म Last Film Show साबित हुई. बता दें डायरेक्टर पान नलिन की इस फिल्‍म को भारत की ओर से बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी में 95वें ऑस्कर के लिए आधिकारिक रूप से भेजा गया है. 

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ऑटोरिक्शा चलाते थे राहुल के पिता

राहुल कोली के पिता रामू कोली ऑटो रिक्‍शा चलाते थे. 'पीटीआई-भाषा' के मुताबिक राहुल के पिता रामू कोली ने बताया कि उनका बेटा राहुल इस फिल्‍म को लेकर काफी उत्‍साहित था. वो उनसे कहता था कि फिल्‍म रिलीज होने के बाद उनका अच्‍छा समय शुरू हो जाएगा. लेकिन वो फिल्‍म को रिलीज होते हुए भी नहीं देख पाया और 14 अक्‍टूबर से पहले ही उसकी मौत हो गई.

4 महीने से कैंसर अस्‍पताल में भर्ती था

राहुल कोली को इसी साल पता चला कि उसे ल्‍यूकोमिया है. इसके बाद उसका इलाज पहले जामनगर के अस्‍पताल में कराया गया. चार महीने पहले राहुल को अहमदाबाद के कैंसर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उनका इलाज चल रहा था. 2 अक्‍टूबर को राहुल ने जिंदगी को अलविदा कह दिया. 

 

फिल्‍मों का शौकीन था राहुल

एएनआई के अनुसार रामू के पिता ने बताया कि राहुल को फिल्‍मों का बहुत शौक था. उनके एरिया में जब भी कोई शादी होती थी तो सबसे अच्‍छा डांस राहुल ही करता था. कब उसका छेलो शो के लिए सेलेक्‍शन हो गया, पता ही नहीं चला. वो बहुत मेहनती बच्‍चा था. राहुल ने 2019 में छेलो शो के लिए शूट किया. राहुल का परिवार प्‍लानिंग कर रहा है कि वो 14 अक्‍टूबर को इस फिल्‍म को साथ मिलकर देखेंगे.

 

ल्‍यूकेमिया क्‍या होता है

एसएमएस हॉस्पिटल के स्‍टेट कैंसर इंस्‍टीट्यूट के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट (BMT) और PHOD मेडिकल ऑकोलॉजी, डॉ. संदीप जसूजा का कहना है कि जब सफेद रक्त कोशिकाओं के डीएनए को क्षति पहुंचती है, तो ल्यूकेमिया विकसित होता है. ल्यूकेमिया शरीर के रक्त बनाने वाले ऊतकों का कैंसर और ब्‍लड कैंसर का एक प्रकार है. इसे बच्चों और किशोरों में होने वाला आम कैंसर माना जाता है.

कारण और उपचार

ल्यूकेमिया के कई कारण हो सकते हैं जैसे- फैमिली हिस्‍ट्री, ब्‍लड डिसऑर्डर जैसे मायलोइड्सप्लास्टिक सिंड्रोम, अनुवांशिक विकार जैसे डाउन सिंड्रोम, फैनकोनी का एनीमिया आदि. इसमें मरीज की कंडीशन को देखते हुए कीमोथैरेपी, इंटरफेरॉन थैरेपी, रेडिएशन थैरेपी और जरूरत पड़ने पर स्‍टेम सेल ट्रांसप्‍लांट करके इलाज दिया जाता है.