5 नवंबर को राजस्थान में चुनावी प्रक्रिया पूरी हो गई है, और अब तीन दिसंबर को मतगणना होगी. इस बीच वोटों की गिनती को लेकर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं. हालांकि EVM ने वोटों की काउंटिंग को काफी हद तक आसान बना दिया है. लेकिन EVM मशीन में पड़े वोटों के परिणाम को VVPAT सिस्टम के परिणाम से भी कंपेयर किया जाता है. ऐसे में मन में बड़ा सवाल आता है कि अगर दोनों के आंकड़ों में अंतर आए तो EVM और VVPAT में से किसे सही माना जाएगा?

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कैसे होती है वोटों की गिनती

चुनाव आयोग मतदान के लिए EVM मशीन का इस्तेमाल करता है. EVM मशीन में मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के सामने वाले बटन को दबाकर उसे वोट देते हैं. वोटिंग की प्रक्रिया खत्म होने के बाद प्रत्येक राउंड में एक बार में 14 EVM मशीनों पर ही गिनती होती है. एक राउंड में 14 EVM मशीनों के वोटों को गिना जाता है. गिनती के बाद परिणामों को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू होती है और इसे ब्लैक बोर्ड पर दर्ज किया जाता है.

VVPAT सिस्टम 

साल 2013 से मतदान के प्रोसेस में Voter Verified Paper Audit Trail (VVPAT) को जोड़ दिया गया. VVPAT सिस्टम में EVM में वोट देने के बाद उस उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिन्ह वाली एक पेपर स्लिप तैयार होती है. इससे मतदान में पारदर्शिता बढ़ती है. तय होता है कि आपने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, उसे वोट मिला है या नहीं. इससे चुनाव प्रणाली में मतदाताओं का विश्वास मजबूत होता है. 

परिणाम अलग होने पर क्या होता है?

गिनती के समय VVPAT पर्चियों और उसके संबंधित EVM के वोटों के परिणाम का मिलान किया जाता है. परिणामों के मिलान प्रक्रिया पूरी होने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर निर्वाचन क्षेत्र के लिए अंतिम परिणाम घोषित कर सकता है. अक्सर VVPAT पर्चियों और उसके संबंधित EVM के वोटों के परिणाम समान होते हैं. लेकिन इन परिणामों में अंतर हो तब क्या होता है? ऐसे मामलों में, VVPAT की पर्चियों के परिणाम को अंतिम माना जाता है. वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन मतगणना हॉल में एक सुरक्षित वीवीपैट काउंटिंग बूथ के अंदर किया जाता है. इस बूथ में केवल अधिकृत कर्मियों को आने की अनुमति होती है. इस तरह वीवीपैट की संख्या पर अंतिम मुहर लगती है.

डेटा रखा जाता है सुरक्षित 

वोटों की गिनती के बाद डेटा को कंट्रोल यूनिट मेमोरी सिस्टम में सेव किया जाता है, जो डिलीट होने तक सुरक्षित रहता है. गिनती की जिम्मेदारी रिटर्निंग ऑफिसर की होती है और इसका सुनिश्चित होना आवश्यक है कि गिने गए वोटों की संख्या की जिम्मेदारी चुनाव अधिकारी यानी रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) की होती है.