Earthquake in Delhi-NCR: दिल्ली-एनसीआर में महसूस किए गए भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर ये रही तीव्रता
Earthquake Today In Delhi_NCR: दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार 13 जून को भूकंप के झटके महसूस किए गए. करीब 01:35 मिनट के आसपास इन झटकों को महसूस किया गया. रिक्टर स्केल पर भूंकप की तीव्रता 5.4 रही.
Earthquake Today In Delhi, Noida, Ghaziabad, Earthquake News Today in Indial: राजधानी दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए. करीब 01:35 मिनट के आसपास इन झटकों को महसूस किया गया. रिक्टर स्केल पर भूंकप की तीव्रता 5.4 रही. भूकंप का असर भारत के दिल्ली-एनसीआर के अलावा जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़ समेत कई शहरों में रहा. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जम्मू-कश्मीर के डोडा में था. इसकी गहराई जमीन से 6 किलोमीटर अंदर थी. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 5.4 थी.
बता दें दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके का मामला कोई पहली बार नहीं आया है, इससे पहले भी कई बार यहां भूकंप को महसूस किया गया है.ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में दिल्ली को हाई रिस्क सिस्मिक जोन में रखा गया है. इससे पहले 21 मार्च को दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटकों को लोगों ने महसूस किया था. उस समय भूकंप की तीव्रता 6.6 थी. रिक्टर पैमाने पर इतनी तीव्रता के भूकंप को काफी खतरनाक माना जाता है. आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है सिस्मिक जोन (Seismic Zone), भारत में कुल कितने सिस्मिक जोन हैं और राजधानी दिल्ली किस जोन का हिस्सा है?
क्यों आता है भूकंप
कैसे और क्यों आता है इसे वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्वी की संरचना को समझना होगा. दरअसल ये पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. ये प्लेट्स जो लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.
क्या होता है सिस्मिक जोन
सिस्मिक जोन का मतलब है उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र यानी वो जगह जहां भूकंप आने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. भारत में भूकंप की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे 2 से लेकर 5 तक के जोन में बांटा गया है. इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक सिस्मिक जोन 5 है, जहां आठ से नौ तीव्रता वाले भूकंप के आने की आशंका रहती है. भारत का करीब 11 फीसदी हिस्सा 5वें जोन में आता है. 18 फीसदी चौथे और 30 फीसदी तीसरे जोन में आता है. बाकी बचे हिस्से पहले और दूसरे जोन में आते हैं.
किस आधार पर निर्धारित होता है जोन
एरिया के स्ट्रक्चर के आधार पर इलाके को भूकंप की दृष्टि से खतरनाक और कम खतरनाक जोन में विभाजित किया जाता है. बढ़ती आबादी और तेजी से बनती ऊंची इमारतों के कारण दिल्ली-एनसीआर भूकंप की दृष्टि से और भी खतरे के घेरे में रखा गया है.
जानिए किस जोन का हिस्सा है दिल्ली
Seismic Zone 5: सिस्मिक जोन 5 को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है. इसमें देश का पूरा पूर्वोत्तर इलाका, जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा, हिमाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा और उत्तराखंड के कुछ इलाके, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप शामिल है
Seismic Zone 4: इसे भी काफी खतरनाक माना जाता है. जोन 4 में भूकंप की तीव्रता 7.9 से 8 तक हो सकती है. दिल्ली, एनसीआर के इलाके, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाके, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका आता है.
Seismic Zone 3: इसमें भूकंप की तीव्रता सात या उससे कम होती है. इसमें केरल, गोवा, लक्षदीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं. चेन्नई, मुंबई, भुवनेश्वर, कोलकाता और बेंगलुरु को भी जोन 3 में रखा गया है.
Seismic Zone 2: जोन 2 को बेहद कम खतरनाक जोन माना जाता है. यहां 4.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है. थिरुचिरापल्ली, बुलंदशहर, मुरादाबाद, गोरखपुर, चंडीगढ़ आदि सिस्मिक जोन 2 में आते हैं.
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