Earthquake in Delhi-NCR: क्या होता है Seismic Zone, भारत में कितने सिस्मिक जोन हैं और दिल्ली किस जोन में आता है?
भारत में दिल्ली को हाई रिस्क सिस्मिक जोन में रखा गया है. आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है सिस्मिक जोन (Seismic Zone), भारत में कुल कितने सिस्मिक जोन हैं और राजधानी दिल्ली किस जोन का हिस्सा है?
Earthquake Today In Delhi, Noida, Ghaziabad, Earthquake News Today in India, Nepal: राजधानी दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में देर रात करीब 2 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र नेपाल में था, लेकिन भारत में इसका अच्छा खासा असर देखने को मिला. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.3 दर्ज की गई. इतना ही नहीं, 9 नवंबर की सुबह करीब 6.27 बजे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भी 4.3 तीव्रता का भूकंप आया.
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके का मामला कोई पहली बार नहीं आया है, इससे पहले भी कई बार यहां भूकंप को महसूस किया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में दिल्ली को हाई रिस्क सिस्मिक जोन में रखा गया है. आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है सिस्मिक जोन (Seismic Zone), भारत में कुल कितने सिस्मिक जोन हैं और राजधानी दिल्ली किस जोन का हिस्सा है?
क्या होता है सिस्मिक जोन (What is Seismic Zone)
सिस्मिक जोन का मतलब है उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र यानी वो जगह जहां भूकंप आने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. भारत में भूकंप की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे 2 से लेकर 5 तक के जोन में बांटा गया है. इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक सिस्मिक जोन 5 है, जहां आठ से नौ तीव्रता वाले भूकंप के आने की आशंका रहती है. भारत का करीब 11 फीसदी हिस्सा 5वें जोन में आता है. 18 फीसदी चौथे और 30 फीसदी तीसरे जोन में आता है. बाकी बचे हिस्से पहले और दूसरे जोन में आते हैं.
किस आधार पर निर्धारित होता है जोन (How is Seismic Zone Decide)
एरिया के स्ट्रक्चर के आधार पर इलाके को भूकंप की दृष्टि से खतरनाक और कम खतरनाक जोन में विभाजित किया जाता है. बढ़ती आबादी और तेजी से बनती ऊंची इमारतों के कारण दिल्ली-एनसीआर भूकंप की दृष्टि से और भी खतरे के घेरे में रखा गया है.
जानिए किस जोन का हिस्सा है दिल्ली (In which Zone Delhi Comes)
Seismic Zone 5: सिस्मिक जोन 5 को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है. इसमें देश का पूरा पूर्वोत्तर इलाका, जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा, हिमाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा और उत्तराखंड के कुछ इलाके, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप शामिल है
Seismic Zone 4: इसे भी काफी खतरनाक माना जाता है. जोन 4 में भूकंप की तीव्रता 7.9 से 8 तक हो सकती है. दिल्ली, एनसीआर के इलाके, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाके, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका आता है.
Seismic Zone 3: इसमें भूकंप की तीव्रता सात या उससे कम होती है. इसमें केरल, गोवा, लक्षदीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं. चेन्नई, मुंबई, भुवनेश्वर, कोलकाता और बेंगलुरु को भी जोन 3 में रखा गया है.
Seismic Zone 2: जोन 2 को बेहद कम खतरनाक जोन माना जाता है. यहां 4.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है. थिरुचिरापल्ली, बुलंदशहर, मुरादाबाद, गोरखपुर, चंडीगढ़ आदि सिस्मिक जोन 2 में आते हैं.