शुक्रवार को देर रात दिल्‍ली-एनसीआर समेत उत्‍तर भारत के तमाम क्षेत्रें में भूकंप के झटके महसूस किए गए. ये झटके रात के 11 बजकर 32 मिनट पर आए और काफी देर तक महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का एपिसेंटर नेपाल में था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मापी गई है और ये भूकंप जमीन के 10 किमी नीचे आया था. लेकिन क्‍या आपको पता है कि ये पता कैसे चलता है कि भूकंप का केंद्र कहां है और इसकी तीव्रता को कैसे मापा जाता है? यहां जानिए इसके बारे में.

जानिए कैसे पता चलता है भूकंप का केंद्र

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दरअसल भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. इस स्‍थान पर भूकंप का असर सबसे ज्‍यादा होता है और सबसे तेज कंपन होता है. इस तेज कंपन से ही भूकंप के केंद्र का पता चलता है. कंपन की आवृत्ति जैसे-जैसे दूर होती जाती हैं, वैसे-वैसे इसका प्रभाव कम होता जाता है. लेकिन अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है. ये इस बात का निर्भर करता है कि भूकंप की आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में है. अगर कंपन की आवृत्ति ऊपर की ओर है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा.

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता

भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से की जाती है. रिक्‍टर स्‍केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है, इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. ये स्‍केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है. 

भूकंप आने पर क्‍या करें

  • घबराएं नहीं, शांत रहें. जैसे ही भूकंप के झटके शुरू हों, तो फौरन जमीन पर झुक जाए, किसी मजबूत मेज के नीचे आ जाएं. एक हाथ से सिर को ढकें और दूसरे हाथ से तब तक टेबल को पकड़े रहें, जब तक भूकंप के झटके बंद न हो जाएं.
  • झटके रुकते ही फौरन बाहर निकलें और लिफ्ट का इस्‍तेमाल न करें.
  • बाहर आने के बाद खंभों, इमारतों, पेड़ों और दीवारों से दूर रहें.
  • अगर आप गाड़ी में हैं तो गाड़ी रोककर भूकंप के झटके रुकने तक गाड़ी में ही रहें. पुल आदि पर जाने से बचें.