Dussehra 2022: रामानंद सागर की रामायण को देख हर किसी को भगवान रिएलटी में नजर आते हैं. और आए भी क्यों ना. उसमें निभाए गए हर किसी की तरफ से रोल और सीन्स एकदम रियल लगते हैं. अभी तक देखा जाए, तो उस रामायण का तोड़ नहीं निकला है. 80 के दशक में प्रसारित ‘रामायण‘ के हर कलाकार ने पूरी जान डाल दी. आज हम दशहरा के अवसर पर बात करेंगे रामायण में रावण का रोल अदा करने वाले अरविंद त्रिवेदी की, जिन्होंने अपनी अदायकी से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि रामानंद सागर के लिए वो पहली पसंद नहीं थे. आइए जानते हैं सच्चाई.

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बॉडी लैंग्वेज और एटीट्यूड देखकर किया पसंद

मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले थे अरविंद त्रिवेदी, जिन्होंने गुजराती फिल्मों में ज्यादा काम किया. जैसे ही उन्हें इस बात की खबर लगी कि रामानंद सागर ‘रामायण‘ बना रहे हैं, तो वो गुजरात से मुंबई ऑडिशन के लिए पहुंचे. उन्होंने रावण ही नहीं केवट के रोल के लिए भी ऑडिशन दिया था. रावण के किरदार के हर किसी की पहली पसंद अमरीश पुरी थे. अरविंद त्रिवेदी ने केवट के किरदार के लिए ऑडिशन दिया, जैसे ही वो बाहर निकले, तो उनकी बॉडी लैंग्वेज और एटीट्यूड देखकर रामानंद सागर ने तय किया कि उन्हें रावण का रोल दिया जाए.'

आसान नहीं था रावण का रोल

रावण का रोल निभाना इतना आसान नहीं था. इसमें ढलने के लिए कड़ी मेहनत लगती थी. दरअसल शूटिंग से 5 घंटे उन्हें तैयार होना पड़ता था. उनके कपड़े तो हैवी होते ही थे, साथ ही उनकी ज्वैलरी कई किलो की होती थी. उनका मुकुट ही दस किलो का हुआ करता था.

शूटिंग के दौरान रहता था व्रत

रामायण में अरविंद ने जो किरदार निभाया उन्हें हर जगह रावण के रूप में पहचाना जाने लगा. वो राम भक्त और शिव भक्त दोनों थे. लेकिन क्या आपको पता है, शूटिंग पर जाते समय उनका व्रत हुआ करता था. शूटिंग खत्म करने के बाद वो रात में अपना व्रत तोड़ते थे. उन्हें इस बात का बहुत अफसोस होता था कि स्क्रिप्ट की वजह से उन्हें भगवान राम के लिए कड़वे शब्दों का प्रयोग करना पड़ता था.

बीते साल हुआ था निधन

अरविंद त्रिवेदी रामायण के बाद सुर्खियों में तब आए, जब कोरोना काल में ‘रामायण‘ का प्रसारण हुआ. उन्होंने अपना सोशल मीडिया पेज बनाया, जिससे वो फैन्स से रूबरू हो सकें. अरविंद त्रिवेदी का निधन पिछले साल 6 अक्टूबर को हुआ. वह 82 साल के थे.