Diwali 2024: दिवाली पूजा के बाद गणेश-लक्ष्मी की पुरानी मूर्ति का क्या करें? समझ लीजिए
दिवाली पर लोग गणेश-लक्ष्मी की नई मूर्तियों को लेकर आते हैं और उन्हें स्थापित करते हैं. पुरानी मूर्तियों को मंदिर से हटा दिया जाता है. लेकिन हटाने के बाद इन मूर्तियों का क्या करना चाहिए? समझ लीजिए.
दिवाली (Diwali 2024) के त्योहार पर घर में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. लोग गणेश-लक्ष्मी की नई मूर्तियों को लेकर आते हैं और उन्हें मंदिर में रखकर पूजा-अर्चना करते हैं और पुरानी मूर्ति को वहां से हटा दिया जाता है. लेकिन सालभर तक घर के मंदिर में रखकर जिन मूर्तियों की आपने पूजा की है, उन्हें हटाने के बाद क्या करना चाहिए? ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से समझ लीजिए इस बारे में-
जानें पुरानी मूर्तियों का क्या करना चाहिए
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि गणेश लक्ष्मी की नई मूर्तियां आने के बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर उनकी पूजा करनी चाहिए. पुरानी मूर्तियों को पूजा वाले स्थान पर ही रहने दें. उन्हें एकदम से नहीं हटाना चाहिए. भाई दूज के बाद नई मूर्तियों को चौकी पर से हटाएं. इसके बाद पुरानी मूर्तियों की ओर मुखातिब होकर बड़े विनम्र भाव और श्रद्धा पूर्वक प्रार्थना करें और ईश्वर से कहें कि आपने पूरे वर्ष मेरे परिवार पर अपनी कृपा बनाकर रखी है.
आपसे प्रार्थना है कि अब आप नई मूर्तियों में अपना स्थान ग्रहण करें. इसके बाद पुरानी मूर्तियों की रोली अक्षत, खील-बताशे, पुष्प, मिष्ठान वगैरह चढ़ाकर पूजा करें. आरती करें, इसके बाद नई मूर्ति को वहां पर रख दें और पुरानी मूर्ति को पूजा के स्थान से हटा दें. हटाने के बाद पुरानी मूर्तियों को किसी अखबार या पेपर में लपेट कर सुरक्षित रख दें और जब आपको मौका मिले तब इन मूर्तियों को विसर्जित कर दें. भूल से भी पुरानी मूर्तियों को इधर-उधर न रखें और न ही गंदे पानी या गंदे स्थान पर फेकें.
दिवाली पर लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा क्यों?
माता लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी कहा जाता है. अक्सर देखा जाता है कि अगर धन और ऐश्वर्य किसी के पास ज्यादा आ जाए तो उसे अहंकार हो जाता है. मति भ्रष्ट हो जाती है. ऐसा व्यक्ति अहंकार के चलते धन को संभाल नहीं पाता. धन और वैभव को सद्बुद्धि के साथ ही साधा जा सकता है. गणपति बुद्धि के देवता हैं. जहां गणपति का वास होता है, वहां के संकट टल जाते हैं और सब कुछ शुभ ही शुभ होता है. इसलिए दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी पूजन किया जाता है, ताकि घर में लक्ष्मी का वास हो और शुभता व समृद्धि बनी रहे.
लक्ष्मी की मूर्ति गणपति के दायीं तरफ क्यों?
लक्ष्मी माता की कोई संतान नहीं है, इसलिए उन्होंने भगवान गणेश को अपना दत्तक पुत्र माना है. पुत्र के साथ माता को दायीं ओर बैठना चाहिए, जबकि पति के साथ पत्नी बायीं ओर होती है. इसलिए लक्ष्मी नारायण की पूजा के दौरान लक्ष्मी जी को गणपति के दायीं ओर बैठाया जाता है.