धनतेरस (Dhanteras) के साथ दिवाली (Diwali 2023) के पांच दिनों के त्‍योहार की शुरुआत हो चुकी है. 12 नवंबर रविवार के दिन दिवाली का त्‍योहार मनाया जाएगा. दिवाली के मौके पर गणेश-लक्ष्‍मी जी की पूजा की जाती है. लोग गणेश-लक्ष्‍मी की नई मूर्तियां (Ganesh Lakshmi Statue) घर में खरीदकर लाते हैं और पूजा के स्‍थान पर इन्‍हें स्‍थापित किया जाता है और पुरानी मूर्तियों को वहां से हटा लिया जाता है. लेकिन सालभर जिन मूर्तियों की आपने पूजा की है, उन्‍हें हटाने के बाद आखिर उनका किया क्‍या जाए? यहां जानिए इसके बारे में.

जानें पुरानी मूर्तियों का क्‍या करना चाहिए

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ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र बताते हैं कि गणेश लक्ष्‍मी की नई मूर्तियां आने के बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर उनकी पूजा करनी चाहिए. पुरानी मूर्तियों को पूजा वाले स्‍थान पर ही रहने दें. भाई दूज के बाद नई मूर्तियों को चौकी पर से हटाएं. इसके बाद पुरानी मूर्तियों की ओर मुखातिब होकर बड़े विनम्र भाव एवं श्रद्धा पूर्वक प्रार्थना करें कि हे प्रभु आपने पूरे वर्ष मेरे परिवार पर अपनी कृपा बनाकर रखी है. 

आपसे प्रार्थना है कि अब आप नई मूर्तियों में अपना स्‍थान ग्रहण करें. इसके बाद पुरानी मूर्तियों की रोली अक्षत, खील-बताशे, पुष्‍प, मिष्‍ठान वगैरह चढ़ाकर पूजा करें. आरती करें, इसके बाद नई मूर्ति को वहां पर रख दें और पुरानी मूर्ति को पूजा के स्‍थान से हटा दें. हटाने के बाद पुरानी मूर्तियों को किसी अखबार या पेपर में लपेट कर सुरक्षित रख दें और जब आपको मौका मिले तब इन मूर्तियों को विसर्जित कर दें. भूल से भी पुरानी मूर्तियों को इधर-उधर न रखें और न ही गंदे पानी या गंदे स्थान पर फेकें.

दिवाली पर लक्ष्‍मी पूजन का शुभ मुहूर्त 

  • सुबह 09:12 बजे से 11:17 बजे तक - शिक्षण संस्थान, बुक स्टॉल , आध्यात्मिक लोग उनके लिए ये मूहर्त है.
  • दोपहर 01:01 बजे से 02:30 बजे तक - लोहा उद्योग, जूता उद्योग, फैक्ट्रियां आदि के लिए.
  • 02:30  बजे से 03:56 बजे तक शिक्षण संस्थान, विद्यालय, किताबों की दुकान , पब्लिशर , ज्ञान से जुड़े लोग, पूजा पाठ सामग्री से जुड़े लोगों के लिए यह मूहर्त काफी शुभ है.
  • घर पर लक्ष्‍मी गणेश पूजा के लिए शाम 05:30 बजे से 07:29 बजे तक का समय अति शुभ है. 07:29 बजे से 09:43 बजे तक शुभ मूहर्त है. कार्यसिद्धि पूजा, विशेष साधना के लिए रात 12:06 बजे से रात 02:22 बजे तक का समय काफी शुभ है.