Diwali से पहले ही प्रदूषण ने सांस लेना किया दूभर, राजधानी के कई इलाकों में 300 के पार हुआ AQI
देश की राजधानी दिल्ली में ओवरऑल वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 249 पर है. वहीं नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक आज सुबह राजधानी के तमाम इलाकों में AQI 300 के पार हो गया है. आनंद विहार और शादीपुर डिपो इलाके में एक्यूआई 'बहुत खराब' दर्ज किया गया है.
अभी तो Diwali आई भी नहीं और प्रदूषण ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. इसके कारण लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. दिल्ली की वायु गुणवत्ता अब भी 'खराब' श्रेणी में बनी हुई है. SAFAR-इंडिया के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली में ओवरऑल वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 249 पर है. वहीं नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक आज सुबह राजधानी के तमाम इलाकों में AQI 300 के पार हो गया है. आनंद विहार और शादीपुर डिपो इलाके में एक्यूआई 'बहुत खराब' दर्ज किया गया है.
नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक आज सुबह आनंद विहार में एक्यूआई 320 दर्ज किया गया. वहीं नेहरू नगर में 330, शादीपुर में 304, मुंडका में 286, ओखला फेज-2 में 250, द्वारका सेक्टर आठ 274, पटपड़गंज 253, पंजाबी बाग में 285, जहांगीरपुरी में 293 दर्ज किया गया.
क्या होता है AQI
हवा की क्वालिटी मापने के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index-AQI) का इस्तेमाल किया जाता है. AQI एक ईकाई है, जिसके आधार पर ये पता चलता है कि उस जगह की हवा सांस लेने लायक है या नहीं. AQI में 8 प्रदूषक तत्वों सल्फर PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3 और PB को देखा जाता है कि उनकी मात्रा कितनी है. अगर उनकी तय लिमिट से ज्यादा मात्रा होती है, तो समझ जाता है कि वहां की हवा प्रदूषित है.
AQI के छह मानक
एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के छह मानक होते हैं, जो ये बताते हैं कि शहर की हवा सांस लेने योग्य है या नहीं. ये छह मानक हैं- अच्छी, संतोषजनक,सामान्य, खराब, बहुत खराब और गंभीर जैसी कैटेगरी शामिल हैं. 0-50 के बीच 'अच्छी', 51-100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'सामान्य', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है.
ऐसे मापी जाती है एयर क्वालिटी
एयर क्वालिटी को मापने के लिए अलग-अलग डिवाइस होती है, जिनके जरिए एक्यूआई का पता लगाया जा सकता है. सरकार भी कई जगहों पर ये मीटर लगाकर रखती है. इससे पता लग जाता है कि उस हवा की क्या स्थिति है. इसमें हर तत्व का सही पता उसके घंटों के आधार पर लगता है. जैसे कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा के लिए 6 घंटे रखना होता है, ऐसे ही दूसरे तत्वों के लिए अलग व्यवस्था है. ऐसे में इसे पूरे 24 घंटे एक स्थान पर रखकर उस जगह की हवा की गुणवत्ता का पता लगाया जाता है.