इन दिनों कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. कंजंक्टिवाइटिस को सामान्‍य शब्‍दों में आई फ्लू (Eye Flu) कहा जाता है. ये एक संक्रमण है जो कंजंक्टिवा में सूजन आने के कारण होता है. बरसात के मौसम में आई फ्लू का रिस्‍क ज्‍यादा बढ़ जाता है क्‍योंकि मौसम में नमी के कारण वायरस, बैक्‍टीरिया और एलर्जी बढ़ने लगती है. कंजंक्टिवाइटिस में आंखों का सफेद हिस्‍सा गुलाबी या लाल दिखने लगता है, इसलिए इसको पिंक आई (Pink Eye) के नाम से भी जाना जाता है. आइए आपको बताते हैं आई फ्लू से जुड़ी तमाम जरूरी बातें और इससे बचाव के तरीके.

आई फ्लू ये लक्षण आते सामने

  • आंखों का लाल होना
  • आंखों में सूजन, खुजली और जलन
  • लाइट से परेशानी होना
  • सफेद चिपचिपा पदार्थ आंखों से निकलना
  • सामान्य से ज्यादा आंसू आना
  • शरीर में दर्द

आई फ्लू के रिस्‍क फैक्‍टर्स

  • किसी ऐसी चीज के संपर्क में आने से जिससे आपको एलर्जी है जैसे धूल के कण, पालतू जानवरों के फर, या कुछ दवाएं.
  • ऐसे व्‍यक्ति के संपर्क में आने से जो वायरल या बैक्‍टीरियल कंजंक्टिवाइटिस से संक्रमित है.
  • लगातार कॉन्‍टैक्‍ट लैंस पहनने के कारण.
  • Microbial Infection या फंगस वगैरह के कारण.

आई फ्लू होने पर क्‍या करें

  • खुद डॉक्‍टर न बनें, विशेषज्ञ को दिखाएं. 
  • विशेषज्ञ के निर्देशों का पालन करें और दवाएं नियमित तौर पर लें.
  • दूसरों के रूमाल और तौलिया इस्‍तेमाल न करें और न ही अपना किसी के साथ शेयर करें. 
  • आंखों में इंफेक्शन होने पर चश्मा लगाएं. 
  • इंफेक्शन होने के बाद बाहर न निकलें, घर पर ही रहें. 

आप तक न पहुंचे संक्रमण, इसके लिए ये तरीके अपनाएं

  • अपने हाथों की साफ-सफाई का ध्‍यान रखें. बार-बार हाथों से आंखों को न छुएं.
  • समय-समय पर हाथों को धोते रहें.
  • साफ टॉवेल का इस्‍तेमाल करें, इसे किसी दूसरे के साथ शेयर न करें. न ही किसी दूसरे की तौलिया या रुमाल खुद इस्‍तेमाल करें.
  • अपने कपड़ों को भी साफ रखें और नियमित रूप से इन्‍हें धोएं. 
  • समय-समय पर अपने तकिए के कवर को बदलते रहें.
  • आई कॉस्‍मेटिक्‍स का इस्‍तेमाल न करें. अगर करती हैं तो इसे किसी से शेयर न करें.
  • आई फ्लू से संक्रमित व्‍यक्ति के संपर्क में आने से बचें. 

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें