कैंसर एक ऐसा रोग है, जिसके लक्षण आमतौर पर दूसरी या इसके बाद की स्‍टेज में सामने आते हैं. तब तक स्थिति को संभालना काफी मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि कैंसर के नाम से ही लोग घबरा जाते हैं. कैंसर शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कोलन कैंसर के बारे में जिसे कोलोरेक्टल कैंसर भी कहा जाता है. जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के स्‍टेट कैंसर इंस्‍टीट्यूट के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट (BMT) और PHOD मेडिकल ऑकोलॉजी, डॉ. संदीप जसूजा से जानिए ये क्‍या होता है, किस वजह से होता है, इसके लक्षण क्‍या हैं और बचाव के तरीके क्‍या हैं.

क्‍या होता है कोलन कैंसर

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डॉ. संदीप जसूजा बताते हैं कि बड़ी आंत, कोलन से शुरू होती है, जो लगभग 5 फीट लंबा होता है और मलाशय (Rectum) और गुदा (मलद्वार) में समाप्त होती है. कोलन कैंसर की शुरुआत बड़ी आंत की दीवार के सबसे भीतरी परत में होती है, फिर ये आसपास के लिंफ नोड्स में और फिर पूरे शरीर में फैलता है. ज्‍यादातर ये कैंसर छोटे पॉलिप्‍स से शुरू होता है और बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता जाता है.

रेड मीट और अल्‍कोहल इसकी बड़ी वजह

कोलन कैंसर का सबसे बड़ा कारण रेड मीट और अल्‍कोहल को माना जाता है. जो लोग इन चीजों का अधिक सेवन करते हैं, उनमें कोलन कैंसर का रिस्‍क सबसे ज्‍यादा होता है. अमेरिका में और भारत के पंजाब में कोलन कैंसर मोस्‍ट कॉमन कैंसर की लिस्‍ट में शामिल है. 

ये लक्षण आते हैं सामने

डॉ. संदीप बताते हैं कि कोलन कैंसर दो तरह के होते हैं. लेफ्ट साइड कोलन कैंसर और राइट साइड कोलन कैंसर. दोनों तरह के कैंसर में अलग-अलग तरह के लक्षण सामने आते हैं. लेफ्ट साइड के कोलन कैंसर में कब्‍ज, पेट फूलना और स्‍टूल में फ्रेश ब्‍लीडिंग जैसे लक्षण सामने आते हैं. वहीं राइट साइड के कोलन कैंसर में पेट में दर्द, पेट फूलना, कब्‍ज और कभी-कभी स्‍टूल में ओकल्‍ट ब्‍लड आ सकता है.

इलाज क्‍या है

कोलन कैंसर का इलाज इसकी स्‍टेज के हिसाब से किया जाता है. अगर शुरुआत में ही इस कैंसर का पता चल जाए तो सर्जरी से ही काम हो जाता है. आगे की स्‍टेज में जरूरत के हिसाब से सर्जरी के अलावा कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी, इम्‍यूनोथैरेपी और टारगेट थैरेपी आदि के जरिए उपचार किया जाता है.

बचाव के तरीके

चूंकि कोलन कैंसर बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता है, ऐसे में बचाव के लिए जरूरी है कि 50 साल की उम्र के बाद हर 5 साल के अंतराल पर स्‍क्रीनिंग करानी चाहिए. स्‍क्रीनिंग के दौरान कोलोनोस्कोपी, सीटी कॉलोनोग्राफी, सिग्मायोडोस्कोपी और मल परीक्षण वगैरह किया जाता है. जिनकी फैमिली हिस्‍ट्री रही हो, उनको खासतौर पर इसका खयाल रखना चाहिए. इसके अलावा रेड मीट के अधिक सेवन से बचें. अल्‍कोहल से परहेज करें. हेल्‍दी चीजें डाइट में शामिल करें और नियमित रूप से एक्‍सरसाइज जरूर करें. 

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