Chingam Kaise Banta hai: चुइंगम के शौकीन हम में से काफी लोग हैं. बचपन में आपने भी खुब चुइंगम चबाए होंगे. लंबे समय तक चबाने का आनंद लेने वाले हमारे आस पास काफी लोग हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि आपका पसंदीदा चुइंगम कैसे बनता है, क्या इसे ज्यादा चबाने से नुकसान होता है या फिर इससे किसी तरह का फायदा होता है. इन सवालों के जवाब जानना जरूरी है. क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है. बता दें कि चुइंगम को तैयार करने में राल, मोम और इलास्टोमेर का इस्तेमाल होता है. इन तीनों के अलग-अलग काम हैं. इसमें राल यानी पूर्व टेरपीन का काम चबाने वाला हिस्सा होता है. इसके मोम के जरिए नरम बनाया जाता है. फिर इलास्टोमर्स के जरिए इसमें लचिलापन लाया जाता है. 

कैसे तैयार होता है चुइंगम का फ्लेवर?

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चुइंगम में आर्टिफिशियल मिठास लाने के लिए डेक्सट्रोज, ग्लूकोज या मकाई का सिरप, आइसोमाल्ट, एरिथ्रिटोल, जाइलिटोल, माल्टीटोल, मैनिटोल, सोर्बिटोल, लैक्टिटोल का इस्तेमाल होता है. साथ ही चुइंगम को नम बनाए रखने के लिए इसमें ग्लिसरीन का इस्तेमाल होता है. सॉफ्नर यानी plasitcizer का इस्तेमाल चुइंगम को लचीलापन बनाए रखने के लिए किया जाता है. अलग-अलग टेस्ट के लिए साइट्रिक, टार्टरिक, मैलिक, लैक्टिक और फ्यूमेरिक एसिड का यूज किया जाता है.

चुइंगम चबाने के नुकसान

  • चुइंगम के ज्यादा इस्तेमाल से दातों को नुकसान पहुंचता है. 
  • इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की दिक्कत हो सकती है
  • चुइंगम ज्यादा चबाने से जंक फूड खाने की इच्छा बढ़ती है

चुइंगम ज्यादा चबाने के फायदे

  • चुइंगम ज्यादा चबाने से फेस का ब्लड फ्लो बढ़ जाता है
  • इसे एक तरह का एक्सरसाइज भी माना जाता है
  • ज्यादा जबाने की वजह से जबड़े और गाल मजबूत हो सकते हैं
  • सिगरेट जैसी बुरी लत से छुटकारा पाने में मदद मिलती है
  • चुइंगम चबाने से तनाव कम होता है, क्योंकि इससे तनाव पैदा करने वाला हार्मोन कोर्टिसाल कम होता है. 

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