Cheetah in India: पूरे भारत में चीते के लिए कूनो नेशनल पार्क को ही क्यों चुना गया ?
नामीबिया से लाए गए चीते आज पीएम मोदी के जन्मदिन पर कूनो नेशनल पार्क पहुंच रहे हैं. लेकिन क्या आपने सोचा है कि चीते के लिए कूनो नेशनल पार्क का ही चुनाव क्यों किया गया? आइए आपको बताते हैं.
नामीबिया से लाए गए चीते आज पीएम मोदी के जन्मदिन पर कूनो नेशनल पार्क पहुंच रहे हैं. जिन चीतों को भारत लाया जा रहा है उनमें पांच फीमेल और तीन मेल हैं. आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आठ चीतों में से तीन चीतों को विशेष बाड़ों से आजाद करेंगे. सभी चीते 4 से 6 साल के बीच के बताए जा रहे हैं. मोदी जिन तीन चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे, इनमें दो नर और एक मादा हैं. चीतों की इस रिहाई का उद्देश्य भारत के वाइल्ड लाइफ में इन्हें फिर से लाने और इसमें और विवधता लाना है लेकिन क्या आपने सोचा है कि चीते के लिए कूनो नेशनल पार्क का ही चुनाव क्यों किया गया? आइए आपको बताते हैं.
कूनो नेशनल पार्क के अलावा इन जगहों को चुना गया था
भारत में चीतों के विलुप्त होने के बाद सरकार 1972 में वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट लेकर आई. इसके बाद साल 2009 में वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक वर्कशॉप में चीतों को भारत में वापस लाने की मांग की गई. इस वर्कशॉप में केंद्रीय मंत्री, कई अधिकारी और एक्सपर्ट मौजूद थे. चीतों को वापस लाने पर सहमति बनने के बाद देश के कुछ हिस्सों को चीतों को रखने के लिहाज से बेहतर बताते हुए चिन्हित किया गया. इन जगहों में छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास नेशनल पार्क, गुजरात में बन्नी ग्रासलैंड्स, मध्यप्रदेश में डुबरी वाइल्डलाइफ सेंचुरी, संजय नेशनल पार्क, बागडारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी, नॉराडेही वाइल्डलाइफ सेंचुरी और कूनो नेशनल पार्क, राजस्थान में डेजर्ट नेशनल पार्क वाइल्डलाइफ सेंचुरी और शाहगढ़ ग्रासलैंड्स और उत्तर प्रदेश की कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी को चीतों के रहने के लिहाज से उपर्युक्त बताया गया. इसके बाद इन जगहों में भी कूनो नेशनल पार्क को चीतों को रखने के लिए सबसे मुफीद जगह माना गया.
इसलिए कूनो नेशनल पार्क को माना गया सबसे मुफीद
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 400 किलोमीटर दूर शियोपुर जिले में कूनो नदी के किनारे पर है कूनो-पालपुर वाइल्डलाइफ सेंचुरी. चीतों के रहने के हिसाब से इसे बेहतर जगह माने जाने की सबसे बड़ी वजह ये थी, कि यहां के जंगलों में इंसानों की आबादी बेहद कम है. डकैतों के डर से यहां के लोग बाहर की ओर जाकर बसे हैं. इसके अलावा यहां खाने की वो चीजें मौजूद हैं, जो चीते काफी पसंद से खाते हैं. चीतल जैसे जीव काफी मात्रा में मौजूद हैं. इसके अलावा यहां चीतों के शिकार के लिए कई और जानवरों को भी लाकर छोड़ा गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस इलाके में चीते आसानी से सर्वाइव कर सकते हैं.
कई तरह के जानवर शिकार के लिए मौजूद
कूनो में इस दिन को ऐतिहासिक बनाने के लिए कई सालों से तैयारियां चल रही हैं, इसके लिए यहां पहले से इस करीब 200 सांभर, चीतल व अन्य जानवरों को लाकर बसाया गया है. अब इस क्षेत्र में चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक, ग्रे लंगूर, लाल मुंह वाले बंदर, शाही, भालू, सियार, लकड़बग्घे, ग्रे भेड़िये, गोल्डेन सियार, बिल्लियां, मंगूज जैसे कई जीव मौजूद हैं. चीते इनका आसानी से शिकार कर सकते हैं. उनके लिए यहां खाने-पीने के लिए कोई कमी नहीं होगी.