Chandra Grahan 2024: साल का आखिरी चंद्र ग्रहण आज, ये क्यों हर साल पूर्णिमा पर ही लगता है?
Second Lunar Eclipse 2024: साल 2024 का आखिरी चंद्र ग्रहण आज 18 सितंबर को लगने जा रहा है. ये उपछाया चंद्र ग्रहण है. हर साल चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन ही लगता है. आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?
Lunar Eclipse 2024 in India: साल 2024 का आखिरी चंद्र ग्रहण आज 18 सितंबर को लगने जा रहा है. ये उपछाया चंद्र ग्रहण है, जो सुबह 6:11 मिनट पर शुरू होगा और 10:17 बजे इसका समापन होगा. चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण की घटना हर साल होती है. चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों ही 15 दिनों के अंतराल पर लगते हैं. चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन लगता है और सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन लगता है. इस साल पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण के साथ हुई है और इसका समापन सूर्य ग्रहण के साथ होगा. 2 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगेगा. लेकिन क्या आपको पता है कि चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा पर ही क्यों लगता है? आइए आपको समझाते हैं.
क्यों पूर्णिमा के दिन लगता है चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर ही लगता है. इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा करीब 5 डिग्री तक झुकी हुई है. इस झुकाव के कारण हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. कई बार पृथ्वी के ऊपर या नीचे से निकल जाता है. ऐसे में हर पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता. लेकिन जब भी चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है, वो पूर्णिमा का दिन ही होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्र ग्रहण तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में हों और ज्यामितीय प्रतिबन्ध के कारण ऐसा केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव है. इसलिए चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन ही लगता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो भाद्रपद मास की पूर्णिमा 17 सितंबर मंगलवार को 11 बजकर 44 मिनट से शुरू हुई थी और इसका समापन आज 18 सितंबर बुधवार को सुबह 8 बजकर 4 मिनट पर है. ऐसे में पूर्णिमा आज भी मान्य है और ग्रहण पूर्णिमा के दौरान ही शुरू हुआ है.
भारत में दिखेगा या नहीं! कितने बजे शुरू होगा सूतक?
18 सितंबर को लगने वाला ये चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण होगा. इस चंद्र ग्रहण को यूरोप, अफ्रीका, उत्तर और दक्षिण अमेरिका और एशिया के तमाम हिस्सों में देखा जा सकेगा. लेकिन भारत में इस ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा. इसलिए सूतक के नियम भी भारत में लागू नहीं होंगे.
तीन तरह के होते हैं चंद्र ग्रहण
पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse)
सूर्य ग्रहण की तरह चंद्र ग्रहण भी तीन तरह के होते हैं. दरअसल पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगाता है. इस बीच ऐसा क्षण आता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा एक सीध में होते हैं. पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है. इसके कारण चंद्रमा पर सूर्य की रोशनी नहीं आ पाती. इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जाता है. ज्योतिष के अनुसार पूर्ण चंद्र ग्रहण सबसे प्रभावशाली माना जाता है. इसका सभी राशियों पर अच्छा और बुरा प्रभाव देखने को मिलता है.
आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse)
आंशिक चंद्र ग्रहण के अनुसार जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी पूरी तरह न आकर केवल इसकी छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है. तब इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है. ये वाला ग्रहण लंबे वक्त के लिए नहीं लगता है. लेकिन ज्योतिष के हिसाब से इसमें भी सूतक के सारे नियमों का पालन करना पड़ता है.
उपछाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse)
जब चंद्र पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उपछाया पड़ती है, तो इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है. इस ग्रहण में चंद्रमा के आकार पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है. चांद की रोशनी में हल्का सा धुंधलापन आ जाता है और चंद्रमा का रंग मटमैला हो जाता है. इसे वास्तविक चंद्रग्रहण नहीं माना जाता. सूतक के नियम भी इसमें लागू नहीं होते हैं.