What is Penumbral Lunar Eclipse: आज 5 मई को साल का दूसरा ग्रहण और पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. इससे पहले 20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था. आज बुद्ध पूर्णिमा के साथ 130 साल बाद चंद्र ग्रहण का संयोग बना है. इस चंद्र ग्रहण को उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण बताया जा रहा है. उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण को वास्‍तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता, इस कारण सूतक के नियम भी चंद्र ग्रहण में लागू नहीं होंगे. आइए आपको बताते हैं क्‍या होता है उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण और इसे वास्‍तविक ग्रहण क्‍यों नहीं माना जाता.

पहले स‍मझिए कैसे लगता है चंद्र ग्रहण

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उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण को समझने से पहले आपको ये समझना होगा कि चंद्र ग्रहण लगता कैसे है. पूर्णिमा के दिन जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है. चंद्रमा के जिस हिस्‍से पर पृथ्‍वी की छाया पड़ती है, उस पर सूरज की रोशनी नहीं आ पाती और वो हिस्‍सा अंधकारमय हो जाता है. इस स्थिति में जब हम पृथ्‍वी से उस चांद को देखते हैं तो वो काला नजर आता है और इसे ही चंद्र ग्रहण कहा जाता है.

क्‍या होता है उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse)

दरअसल ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है, जिसे अंग्रेजी में पेनुमब्रा कहते हैं. पेनुमब्रा के बाद चांद पृथ्वी की असली छाया में प्रवेश करता है. जब चंद्रमा पृथ्‍वी की असली छाया में प्रवेश कर लेता है, तब वास्‍तविक ग्रहण लगता है. लेकिन जब चांद पेनुमब्रा में प्रवेश करके वहीं से बाहर निकल आता है तो इसे उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है.

उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण वास्‍तविक क्‍यों नहीं माना जाता

दरअसल उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उपछाया पड़ती है यानी एक धुंधली-सी छाया नजर आती है. ऐसे में चंद्रमा के आकार पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है. चंद्रमा एकदम सामान्‍य सा नजर आता है. सिर्फ उसकी क्रान्ति मामूली सी मलिन होती है, इस कारण चंद्रमा का रंग थोड़ा मटमैला सा दिखने लगता है. इसलिए इसे वास्‍तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता.

क्‍या होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण और आंशिक चंद्र ग्रहण

1- पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse)

सूर्य ग्रहण की तरह चंद्र ग्रहण भी तीन तरह के होते हैं. दरअसल पृथ्‍वी सूर्य के चक्‍कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्‍वी के चक्‍कर लगाता है. इस बीच ऐसा क्षण आता है जब पृथ्‍वी सूर्य और चंद्रमा एक सीध में होते हैं. पृथ्‍वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है. इसके कारण चंद्रमा पर सूर्य की रोशनी नहीं आ पाती. इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जाता है. ज्योतिष के अनुसार पूर्ण चंद्र ग्रहण सबसे प्रभावशाली माना जाता है. इसका सभी राशियों पर अच्छा और बुरा प्रभाव देखने को मिलता है.

2- आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse) 

आंशिक चंद्र ग्रहण के अनुसार जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी पूरी तरह न आकर केवल इसकी छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है. तब इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है. ये वाला ग्रहण लंबे वक्त के लिए नहीं लगता है. लेकिन ज्‍योतिष के हिसाब से इसमें भी सूतक के सारे नियमों का पालन करना पड़ता है.

 

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