Second Lunar Eclipse 2023 Date: जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच से गुजरती है, तो इससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और चंद्र ग्रहण लगता है. चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो हर साल घटती है. साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को लग चुका है. अब दूसरे चंद्र ग्रहण की बात चल रही है. तो आपको बता दें कि साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 29 अक्‍टूबर को लगेगा. ये चंद्र ग्रहण इस साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण होगा.

ग्रहण और सूतक काल का समय (Second Chandra Grahan and Sutak Time)

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साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 29 अक्टूबर को देर रात 1:06 बजे शुरू होगा और 2:22 बजे समाप्त होगा.  ये पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और भारत में भी नजर आएगा. इस कारण सूतक काल भी भारत में मान्‍य होगा. भारत में ग्रहण की कुल अवधि 1 घंटे 16 मिनट की होगी. सूतक काल की बात करें तो चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल हमेशा 9 घंटे पहले लग जाता है. दूसरे चंद्र ग्रहण के दौरान भारत में सूतक काल दोपहर 4:05 पर शुरू होगा और 2:22 बजे समाप्त हो जाएगा.

क्‍या होता है सूतक काल (What is Sutak Kaal)

सूतक काल को शास्‍त्रों में अशुभ काल माना गया है. सूतक काल को लेकर मान्‍यता है कि उस समय में वातावरण में नकारात्‍मकता मौजूद होती है. हर तरफ अशुद्धि होती है. इस कारण से सूतक काल में देवताओं के पूजा-पाठ की भी मनाही होती है. खाने-पीने की मनाही होती है, किसी भी शुभ काम को करने की मनाही होती है. गर्भवती महिला और उसके बच्‍चे को ग्रहण के नकारात्‍मक प्रभाव से बचाने के लिए सूतक काल में विशेष नियमों को पालन करने की सलाह दी जाती है. 

सूतक काल के नियम (Rules of Sutak)

  • सूतक काल में भोजन नहीं बनाया जाता और न ही खाया जाता है. इसे दूषित काल माना जाता है. हालांकि बीमार, वृद्ध और गर्भवती महिलाओं के लिए इस तरह के नियम लागू नहीं हैं.
  • जो भोजन पहले से बना रखा है, उनमें सूतक काल शुरू होने से पहले ही तुलसी का पत्‍ता तोड़कर डाल दें. दूध और इससे बनी चीजों, पानी में भी तुलसी का पत्‍ता डालें. तुलसी के पत्ते के कारण दूषित वातावरण का का असर खाने की चीजों पर नहीं होता.
  • सूतक लगने के साथ गर्भवती महिलाएं विशेष रूप से खुद का खयाल रखें. सूतक काल से लेकर ग्रहण पूरा होने तक घर से न निकलें. अपने पेट के हिस्‍से पर गेरू लगाएं.
  • सूतक काल से ग्रहण काल समाप्‍त होने तक गर्भवती स्त्रियां चाकू, कैंची आदि किसी भी नुकीली चीज का इस्‍तेमाल न करें. न ही सिलाई-कढ़ाई करें. 
  • ग्रहण को खुली आंखों से ग्रहण न देखें, यदि देखना ही है तो एक्सरे की मदद ले सकते हैं. इसके अलावा घर के मंदिर में भी पूजा पाठ न करें. मानसिक जाप कर सकते हैं. मानसिक जाप काफी फलदायी माना जाता है.

तीन तरह के होते हैं चंद्र ग्रहण

पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse)

सूर्य ग्रहण की तरह चंद्र ग्रहण भी तीन तरह के होते हैं. दरअसल पृथ्‍वी सूर्य के चक्‍कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्‍वी के चक्‍कर लगाता है. इस बीच ऐसा क्षण आता है जब पृथ्‍वी सूर्य और चंद्रमा एक सीध में होते हैं. पृथ्‍वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है. इसके कारण चंद्रमा पर सूर्य की रोशनी नहीं आ पाती. इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जाता है. ज्योतिष के अनुसार पूर्ण चंद्र ग्रहण सबसे प्रभावशाली माना जाता है. इसका सभी राशियों पर अच्छा और बुरा प्रभाव देखने को मिलता है.

आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse) 

आंशिक चंद्र ग्रहण के अनुसार जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी पूरी तरह न आकर केवल इसकी छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है. तब इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है. ये वाला ग्रहण लंबे वक्त के लिए नहीं लगता है. लेकिन ज्‍योतिष के हिसाब से इसमें भी सूतक के सारे नियमों का पालन करना पड़ता है.

उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse)

जब चंद्र पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उपछाया पड़ती है, तो इसे उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है. इस ग्रहण में चंद्रमा के आकार पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है. चांद की रोशनी में हल्का सा धुंधलापन आ जाता है और चंद्रमा का रंग मटमैला हो जाता है. इसे वास्तविक चंद्रग्रहण नहीं माना जाता. सूतक के नियम भी इसमें लागू नहीं होते हैं.

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