Chaitra Navratri 2023: मां दुर्गा की आराधना का त्योहार चैत् (वसंत) नवरात्रि 22 मार्च, 2023 से लेकर 30 मार्च, 2023 तक रहने वाली है. ऐसे में भक्तों के लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि घट पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? कैसे करें मां की पूजा, किन चीजों से मां दुर्गा प्रसन्न होती है और पूजा सामग्री से लेकर सभी जरूरी बातें. ये सभी बातें डीटेल में बता रहे हैं श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रसिद्ध (ज्योतिषाचार्य) गुरूदेव पंडित ह्रदय रंजन शर्मा.

कब से कब तक है नवरात्रि?

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चैत्र नवरात्री इस साल 22 मार्च 2023 से लेकर 30 मार्च 2023 तक रहने वाली है. इस बार नवरात्रि मै देवी मां दुर्गा अपने प्रिय भक्तों के यहां नौका पर सवार होकर आएंगी और नवरात्रि की समाप्ति पर गज हाथी पर सवार होकर देवलोक  को वापस लौट जाएंगी.

चौघड़िया का शुभ मुहूर्त

विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार घटस्थापना का उत्तम मुहूर्त 22 मार्च 2023 दिन बुधवार को प्रातः  06:25 से लेकर  09:25 तक रहने वाला है. विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार "लाभ और अमृत" के दो सुप्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगें, जिनमें सरकारी, गैर सरकारी नौकरी पेशा लोगों एवं बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियो के लिए अति शुभ और  उन्नति कारक समझे जाएंगे. इसके बाद दिवाकाल 10:55 से 12:25 तक "शुभ"का बहुत ही सुंदर चौघड़िया मुहूर्त "  उपस्थित होंगा. 

इसी समय से पहले 11:15 बजे से" अभिजीत" मुहूर्त भी चालू हो जाएगा. यह मुहूर्त व्यापारियों और नौकरी पेशा लोग, जिन बच्चों के विवाह शादी एवं परीक्षाओं में दिक्कत परेशानी का समय है. उन लोगो के लिए इस शुभ समय में घट स्थापना हेतु यहअत्यंत शुभ एवं फलदायक महूर्त कहे जाएंगे. इस समय में घट स्थापना करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाओ की पूर्ति अवश्य ही देवी मां करेंगी इसके बाद दोपहर 3:25 से शाम 6:25 तक "चर औरलाभ" के दो अत्यंत शुभ चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगे. जिनमें कोई भी व्यक्ति अपने घर में मंदिर में घटस्थापना कर सकता है.

नवरात्रि पर घट स्थापना कैसे करें? 

नवरात्री में घट स्थापना का बहुत महत्त्व है. नवरात्री की शुरुआत घट स्थापना से की जाती है. कलश को सुख समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है. कलश के मुख में भगवान विष्णु गले में रूद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है. नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है. इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है.

घट स्थापना की सामग्री

जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्रजौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो, पात्र में बोने के लिए जौ (गेहूं भी ले सकते है), घटस्थापना के लिए मिट्टी का कलश या फिर तांबे का कलश भी लें सकते है. कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल, रोली, मौली, पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी,कलश में रखने के लिए सिक्का (किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है), आम के पत्ते, कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का ),ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल, नारियल, लाल कपडा, फूल माला,फल तथा मिठाई ,दीपक , धूप , अगरबत्ती ले लें.

घट स्थापना की विधि

सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें जिसमे कलश रखने के बाद भी आस पास जगह रहे. यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है. इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें. मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए. पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें. फिर एक परत मिटटी की बिछा दें. एक बार फिर जौ डालें. फिर से मिट्टी की परत बिछाएं. अब इस पर जल का छिड़काव करें. 

कलश तैयार करें. कलश पर स्वस्तिक बनायें. कलश के गले में मौली बांधें. अब कलश को थोड़े गंगा जल और शुद्ध जल से पूरा भर दें. कलश में साबुत सुपारी , फूल डालें. कलश में सिक्का डालें. अब कलश में पत्ते डालें. कुछ पत्ते थोड़े बाहर दिखाई दें इस प्रकार लगाएं. चारों तरफ पत्ते लगाकर ढ़क्कन लगा दें. इस ढ़क्कन में अक्षत यानि साबुत चावल भर दें नारियल तैयार करें. नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मौली बांध दें. इस नारियल को कलश पर रखें. नारियल का मुँह आपकी तरफ होना चाहिए. यदि नारियल का मुँह ऊपर की तरफ हो तो उसे रोग बढ़ाने वाला माना जाता है. नीचे की तरफ हो तो शत्रु बढ़ाने वाला मानते है , पूर्व की और हो तो धन को नष्ट करने वाला मानते है. नारियल का मुंह वह होता है जहाँ से वह पेड़ से जुड़ा होता है .अब यह कलश जौ उगाने के लिए तैयार किये गये पात्र के बीच में रख दें.

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