Chaiti Chhath Puja 2023: छठ महापर्व का आज तीसरा दिन, डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, जानें पूजा विधि और शुभ समय
Chaiti Chhath Puja 2023: छठ पर्व सूर्यदेव और षष्ठी मैया को समर्पित होता है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है.
Chaiti Chhath Puja 2023: चैती छठ का आज तीसरा दिन है. छठ पर्व हर साल दो बार मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है. आज के दिन महापर्व छठ में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. एक बार हिन्दी नववर्ष की शुरुआत और दूसरी बार कार्तिक मास में मनाया जाता है. कार्तिक माह वाला छठ दीपावली के 6 दिन बाद मनाया जाता है जबकि चैती छठ चैत माह में मनाए जाने वाले नवरात्रि के दौरान. आज की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती महिलाएं अर्घ्य देंगी.
शाम 5:28 बजे व सुबह 5:55 बजे है शुभ मुहूर्त इस दिन शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 28 मिनट से शुरू होगा. इसके बाद 28 मार्च को सुबह पांच बजकर 55 मिनट पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व की समाप्ति होगी. क्या है मान्यता मान्यता के अनुसार छठ पूजा और व्रत परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य और संपन्नता के लिए रखा जाता है. चार दिन के इस व्रत पूजन की कुछ चीजें बेहद कठिन होती हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख 36 घंटे का निर्जला व्रत है. आइए जानते हैं खरना का मुहूर्त और नियम. पहले दिन नहाय खाय का व्रत छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है. इस दिन वर्ती छठ पर्व के दिन नदी में स्नान कर अरवा चावल से बने , सेंधा नमक में बने चने की दाल और कद्दू की सब्जी का भोग अर्पित कर वर्ती भोजन करती हैं. फिर इसके बाद अगले दिन पूरे दिन उपवास रहकर व्रती खरना पूजा करती हैं. खरना पूजा के बाद उपवास की शुरुआत खरना पूजा में वर्ती दूध और गुड़ की बनी खीर,पूरी रोटी का प्रसाद मिट्टी के बर्तन और केले के पत्ते पर बनाती हैं और फिर इसका भोग लगाकर छठ वर्ती इसे ग्रहण करती हैं. खरना के प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे से ज्यादा के निर्जला व्रत की शुरुआत होती है. छठ में डूबते सूर्य की होती है पूजा खरना पूजा के बाद अगले दिन शाम में वर्ती, केला नारियल, नारंगी सेब, समेत पाए जाने वाले मौसमी फल और ठेकुआ प्रसाद के साथ डूबते सूर्य की उपासना कर उन्हें अर्घ्य देती हैं. छठ पर्व ही एकमात्र पर्व है जिसमें डूबते सूर्य की भी पूजा की जाती है. इसके बाद अगले दिन उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य उपासना के महापर्व चैती छठ की समाप्ति होती है.