वैशाख के महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है. शास्‍त्रों में ये दिन बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन गंगा स्‍नान, दान, ध्‍यान वगैरह किया जाता है. तमाम लोग व्रत रखते हैं. बौद्ध धर्म के अनुयायी इस त्‍योहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं. वहीं हिंदुओं में भी इस दिन भगवान विष्‍णु की पूजा होती है क्‍योंकि गौतम बुद्ध को विष्‍णु जी का अंशावतार माना गया है. आइए आपको बताते हैं इस दिन का महत्‍व और भगवान बुद्ध से जुड़ी खास बातें.

क्‍यों मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा

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बुद्ध पूर्णिमा के दिन सिर्फ भगवान बुद्ध का जन्‍म ही नहीं हुआ था, कहा जाता है कि उन्‍हें बुद्धत्व की प्राप्ति भी इसी दिन हुई. इतना ही नहीं, वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ. कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लगभग एक माह तक मेला लगता है. इस दिन लोग भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं, दीपक जलाते हैं और उनकी शिक्षाओं को सुनकर उनको जीवन में उतारने का सबक लेते हैं.

इन देशों में भी मनाते हैं ये पर्व

बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बुद्ध पूर्णिमा बहुत बड़ा त्‍योहार है. ये पर्व सिर्फ भारत में ही नहीं मनाया जाता, बल्कि चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान जैसे दुनिया के कई देशों में बुद्ध जयंती के तौर पर मनाया जाता है. बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दिये जलाते हैं और फूलों से घर सजाते हैं. इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है. गौतम बुद्ध के प्रसिद्ध तीर्थस्‍थलों जैसे बोधगया, कुशीनगर, लुम्बिनी और सारनाथ में इस दिन विशेष पूजा होती है.

भगवान बुद्ध की 4 पत्‍नियों की सीख

भगवान गौतम बुद्ध सुनाया करते थे कि हर पुरुष की 4 पत्नियां होती हैं और हर महिला के 4 पति होते हैं. इन चारों में से चौथे नंबर की पत्‍नी या पति ही अंतिम समय में साथ जाते हैं, बाकी सभी यहीं साथ छोड़ देते हैं. फिर आप चाहे जिंदगीभर उनका कितना ही खयाल रखें. आइए आपको बताते हैं कि भगवान बुद्ध ने यहां किन चार पत्नियों या पतियों का जिक्र किया है. इस कहानी का सार बताते हुए भगवान गौतम बुद्ध कहते हैं कि हर इंसान की 4 पत्नियां होती हैं और हर महिला के 4 पति. सिर्फ चौथे नंबर वाला ही साथ जाता है. बाकी का आप कितना ही खयाल रखें, ये आपके साथ नहीं जाएंगे.

- पहली पत्‍नी या पति है आपका अपना शरीर. आप चाहे इससे कितना ही प्रेम करें, कितना ही इसका खयाल रखें, मृत्‍यु के समय ये आपका साथ छोड़ ही देता है.

- आपकी दूसरी पत्‍नी या पति आपका भाग्‍य है. जो भाग्‍य आप साथ लेकर आए हैं, वो आपके साथ कभी नहीं जाता. यहीं पर छूट जाता है.

- तीसरी पत्‍नी या पति आपके रिश्‍ते-नाते हैं. माता-पिता, भाई-बहन या अन्‍य कोई भी सगा संबन्‍धी सिर्फ तब तक ही आपके साथ है, जब तक आप जीवित हैं. मृत्‍यु के समय ये भी आपका साथ छोड़ देते हैं. इसके बाद आपका इनसे कोई संबन्‍ध नहीं रहता.

- चौथी पत्‍नी या पति आपके कर्म हैं. आप जीवन में जो भी कर्म करते हैं, ये कर्म आपके साथ जरूर जाते हैं. इन कर्मों के आधार पर ही आपके अगले जन्‍म का निर्धारण किया जाता है.