Basant Panchami का पर्व माता सरस्‍वती को समर्पित है. माना जाता है कि इस दिन माता सरस्‍वती ब्रह्मा जी के मुख से प्रकट हुईं थीं. माता के प्रकट होने के पहले तक ये संसार एकदम मौन और नीरस था, लेकिन जैसे ही माता ने वीणा के तार छेड़े तो पूरी सृष्टि चहक उठी. संसार के सभी जीव जंतुओं में वाणी आ गई और वेद मंत्र गूंज उठे. तब भगवान श्रीकृष्‍ण ने उन्‍हें ज्ञान की और संगीत की देवी के रूप में पूजे जाने का वरदान दिया. शास्‍त्रों में माता सरस्‍वती के स्‍वरूप को बेहद खूबसूरत बताया गया है. सफेद वस्‍त्र धारण करने वाली माता सरस्‍वती कमल पर विराजमान होती हैं,  उनके एक हाथ में माला, एक में वीणा, एक में पुस्‍तक और एक हाथ से वो आशीष देती हैं. हंस उनका वाहन है. 

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बसंत पंचमी के दिन सभी संगीतप्रेमी लोग और विद्यार्थीगण माता सरस्‍वती के इसी स्‍वरूप की विशेष रूप से पूजा करते हैं. लेकिन ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि किसी भी देवी या देवता का स्‍वरूप भी हमें खास प्रेरणा देता है. हमें भगवान की पूजा के साथ उनके गुणों को भी अपने जीवन में उतारना चाहिए, यही सच्‍ची आराधना है. इस बार बसंत पंचमी 26 जनवरी को है. इस मौके पर जानिए माता सरस्‍वती का स्‍वरूप हमें क्‍या सिखाता है.

कमल पर आसीन

सफेद वस्‍त्र धारण करने वाली माता सरस्‍वती उस कमल पर आसीन होती हैं, जो कीचड़ में या पानी में खिलता है, लेकिन कमल की ये खासियत होती है कि वो स्वयं को इतना ऊंचा रखता है कि उसे न तो कीचड़ स्पर्श कर पाता है और न ही पानी. इससे ये शिक्षा मिलती है कि अगर हमें ईश्‍वर को प्राप्‍त करना है तो हमें उस कमल के समान अपने व्‍यक्तित्‍व को बनाना होगा जोआसपास के गंदे वातावरण में रहते हुए भी खुद पर उसका प्रभाव नहीं आने देता. ऐसे व्‍यक्तित्‍व वाले व्‍यक्ति पर माता की कृपा हमेशा बनी रहती है.

हाथ में पुस्तक

माता के हाथ में पुस्तक होने के कारण लोग उन्हें ज्ञान की देवी कहते हैं. माता के हाथ में पुस्‍तक का होना ये संदेश देता है कि व्‍यक्ति के जीवन में ज्ञान और शिक्षा कितना महत्‍वपूर्ण है.शिक्षा और ज्ञान से ही आपका उत्थान संभव है, इसलिए माता सरस्वती की कृपा पानी है तो ज्ञान लेने में कभी न चूकें.

हाथ में वीणा

माता के हाथ में वीणा है. वे संगीत की देवी हैं. संगीत मन का आनंदित करता है, तभी तो जब मां ने वीणा का तार छेड़ा तो सारा संसार चहक उठा था. इससे ये शिक्षा मिलती है कि जीवन की तमाम परिस्थितियों के बीच भी मन को आनंदित रखना चाहिए. इतना आनंदित कि आपसे मिलकर दूसरे व्यक्ति का मन भी आनंद से भर जाए. वीणा का तात्पर्य खुश रहने और खुशी बांटने से है.

हाथ में माला

माता के हाथ में माला व्‍यक्ति को आध्‍यात्‍म और धर्म की राह पर चलने की प्रेरणा देती है. मन को शुद्ध रखते हुए अगर आप ईश्‍वर का मनन करते हैं, तो आप पर हमेशा परमेश्‍वर की कृपा रहती है. ऐसा व्‍यक्ति अपने जीवन में खूब आनंदित रहता है और अज्ञानता के प्रभाव में नहीं आता. इससे आप पर कभी अहंकार हावी नहीं होता. आप बस स्वयं को निखारते चले जाते हैं.

आशीर्वाद मुद्रा

माता की आशीर्वाद मुद्रा बताती है कि आपको हमेशा लोगों के भले के बारे में सोचना चाहिए. ज्ञानी व्‍यक्ति कभी किसी दूसरों की बातों से प्रभावित होकर अपने विचारों को दूषित नहीं करता. अगर आप सबके हित के बारे में सोचेंगे, तो माता आपका अहित कभी नहीं होने देंगी. 

माता का हंस

माता का वाहन हंस है. हंस को काफी बुद्धिमान माना जाता है. वो अपने विवेक से दूध और पानी को भी अलग कर देता है. व्‍यक्ति को भी जीवन में हंस की तरह विवेक से काम लेना चाहिए और सही और गलत का फर्क करना आना चाहिए.

 

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