माघ मास की शुक्‍ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व (Basant Panchami Festival) मनाया जाता है. माना जाता है कि इस दिन को मां सरस्‍वती का प्राकट्य दिवस होता है. इस दिन सरस्‍वती मां की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस साल बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी को मनाया जाएगा. माता सरस्‍वती को ज्ञान की देवी माना गया है, इस लिहाज से बसंत पंचमी का दिन विद्यार्थियों के लिए बहुत शुभ माना गया है. इस दिन विद्यार्थी माता सरस्‍वती के साथ कॉपी किताबों की पूजा करते हैं. इसके अलावा तमाम पैरेंट्स इसी दिन से अपने बच्‍चों को पढ़ाई की शुरुआत करवाते हैं. पेंसिल पकड़कर उन्‍हें लिखना सिखाते हैं. लेकिन इस बार आप अपने बच्‍चों को पढ़ाई की शिक्षा देने के साथ कुछ और बातें भी जरूर सिखाएं, ताकि बच्‍चों को बुद्धि और विवेक के साथ धन की भी अहमियत बता सकें.

सेविंग्‍स सिखाएं

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अपने बच्‍चों को सेविंग करने के तरीके बताएं. आप जितनी छोटी उम्र से बच्‍चों को सेविंग करने की आदत डलवा देंगे, उनके भविष्‍य के लिए उतना ही अच्‍छा है. आप बच्‍चों को बताएं कि जितने पैसों को वो महंगे खिलौनों और तमाम शौक के लिए खर्च करते हैं, अगर वो इससे पढ़ाई से जुड़ी कोई चीज खरीदें या अपनी शिक्षा पर खर्च करें तो उनकी शिक्षा कैसे उनके भविष्‍य को उज्‍जवल बनाएगी. इससे बच्‍चे पैसों की फिजूल खर्ची से बचेंगे और धन की अहमियत को समझेंगे. 

बच्‍चों का बैंक अकाउंट खुलवाएं

आपका बच्‍चा अगर थोड़ा समझदार है, तो आप उसे बैंक के कामकाज के बारे में बताएं और कैसे बैंक में तमाम स्‍कीम्‍स के जरिए पैसों को बढ़ाया जा सकता है, ये बताएं. आप चाहें तो बच्‍चों का बैंक अकाउंट भी खुलवाएं और हर महीने बच्‍चे की पॉकेट मनी में से थोड़े पैसे उनके अकाउंट में जमा करवाएं. इससे बच्‍चों को सेविंग की आदत बनेगी और जब पैसा ब्‍याज के साथ इकट्ठा होकर आएगा तो उन्‍हें अच्‍छा भी लगेगा. इस पैसे को आप उनकी ही किसी जरूरत को पूरा करें. इससे बच्‍चों को महसूस होगा कि कैसे छोटी-छोटी बचत करके बड़े-बड़े काम किए जा सकते हैं.

तुलना करने से रोकें

आज के समय में बच्‍चे एक-दूसरे को देखकर पैरेंट्स से महंगे खिलौनों और तमाम चीजों को पूरा करने की जिद करते हैं. आप बच्‍चों को उदाहरण देकर समझाएं कि इस मामले में आपस में तुलना करना क्‍यों ठीक नहीं है. हर किसी को उतने ही पैसे खर्च करने चाहिए जिससे कि उनका बजट न बिगड़े और खर्च भी उन चीजों पर करना चाहिए जो उनके लिए उपयोगी हों. इसके लिए आप बच्‍चों को बजट का महत्‍व बताएं और उन्‍हें भी इनकम के हिसाब से बजट तैयार करने के तरीके सिखाएं. इसके अलावा बच्‍चों को कौन सी चीज उपयोगी है और कौन सी फालतू, इसका फर्क करना सिखाएं.

इस बात का रहे खयाल

बच्‍चे निश्‍छल होते हैं, इसलिए उन्‍हें बचपन से आप जैसी शिक्षा देंगे, वे वैसे ही बनेंगे. इसके अलावा सिर्फ सीख देने से काम नहीं होगा, आपको भी बच्‍चों के सामने अपने काम के जरिए उदाहरण पेश करने होंगे क्‍योंकि बच्‍चे सबसे ज्‍यादा देखकर सीखते हैं. माता-पिता का असर उन पर सबसे ज्‍यादा होता है क्‍योंकि वे सबसे ज्‍यादा उन्‍हीं के करीब रहते हैं.

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