April Fool's Day 2023: क्यों 1 अप्रैल को मनाया जाता है अप्रैल फूल डे, कभी सोचा है आखिर किसने की होगी इसकी शुरुआत?
April Fool's Day हंसने और हंसाने का दिन है. इस दिन लोग अपने दोस्तों, करीबियों और रिश्तेदारों को मूर्ख बनाते हैं. जानें कैसे हुई इस दिन की शुरुआत.
हर साल 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस (Fools Day) मनाया जाता है. देखा जाए तो ये दिन हंसने और हंसाने का दिन है. इस दिन लोग अपने दोस्तों, करीबियों और रिश्तेदारों को मूर्ख बनाते हैं. जब सामने वाला झूठी बातों में फंसकर मूर्ख बन जाता है, तब उसे April Fool कहा जाता है. आपने भी इस दिन अपनों को कई बार मूर्ख बनाया होगा, लेकिन क्या कभी सोचा है कि आखिर इस दिन की शुरुआत कैसे हुई और किसने की होगी? वैसे तो इसके बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन कुछ किस्से मशहूर हैं. आइए जानते हैं इस बारे में.
राजा रिचर्ड द्वितीय का एक मजेदार किस्सा
अप्रैल फूल डे को लेकर इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय का एक मजेदार किस्सा प्रचलित है. कहा जाता है कि रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने ऐलान करते हुए कहा कि वे 32 मार्च 1381 के दिन सगाई करने वाले हैं. उनकी सगाई की खबर से लोग काफी खुश हुए और जश्न मनाने लगे. 31 मार्च आने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि कैलेंडर में 32 मार्च की तो कोई तारीख ही नहीं है. यानी उन्हें मूर्ख बनाया गया है. तब से 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाने लगा.
ग्रेगोरियन कैलेंडर से संबन्धित किस्सा
कुछ लोग अप्रैल फूल की शुरुआत साल 1582 से मानते हैं. कहा जाता है कि ग्रेगोरियन कैलेंडर से पहले जूलियन कैलेंडर चलन में था. उसका नववर्ष मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत शुरु होता था यानी 1 अप्रैल के आसपास. जब ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया गया तो नया साल जनवरी से शुरू होने लगा. लेकिन जिन लोगों को कैलेंडर बदलने की जानकारी देरी से पहुंची, वे मार्च के आखिरी हफ्ते से 1 अप्रैल तक नववर्ष मनाते रहे और इस वजह से उन पर खूब चुटकुले बने. तब से 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाने लगा.
ये किस्सा भी मशहूर
कुछ लोग इस दिन की शुरुआत 1686 से मानते हैं. कहा जाता है कि यूके के बायोग्राफर जॉन औबेरी 1 अप्रैल को फूल्स होली डे के तौर पर मनाते थे. 1 अप्रैल 1698 की बात है, जब लोगों के बीच ये अफवाह फैलाई गई कि टावर ऑफ लंदन से लोग दुनिया से खत्म होते शेर को देख सकते हैं. लोगों ने इसे सच मान लिया और वो वहां इकट्ठे हो गए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. अगले दिन अखबार में इस झूठ का पर्दाफाश किया गया. तबसे दुनिया में पहली अप्रैल को झूठ बोलकर लोगों को उल्लू बनाने का सिलसिला शुरू हो गया.
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